एक हत्यारा अगर किसी को ज़हर देता है, चाहे वह धीमा ज़हर हो या तेज़ ज़हर, और उसकी वजह से किसी की मृत्यु हो जाती है, तो उस हत्यारे पर हत्या का मुक़दमा चलता है…लेकिन उन हत्यारों का क्या, जो हर रोज आपकी और हमारी आंखों में धूल झोंक कर हमारे और हमारे बच्चों की जान का सौदा कर रहे हैं और आजाद घूम रहे हैं…उन हत्यारों का क्या, जो प्रशासन की नाक के नीचें अपने जुर्म का साम्राज्य चला रहे हैं….दोस्तों सीधे शब्दों में हम आपको यह बताना चाहते हैं कि हम, आप, हमारे बच्चे और हमारे अपने, सभी आधुनिक युग के मिलावटखोर हत्यारों के निशाने पर हैं…जो कब, किसकी जिंदगी निगल जाए, कहा नहीं जा सकता.
पश्चिमी यूपी बना मिलावटखोरों का गढ़
दोस्तों, हम यहां बात कर रहे हैं दूध, घी, और पनीर में होने वाली मिलावट की। हम खबरें सुनते हैं, लेकिन जल्द ही उन्हें भूल जाते हैं। लेकिन अब हमें जागरूक बनना पड़ेगा क्योंकि इन हत्यारों में डर नाम की कोई चीज़ नहीं है। हमारे परिवार की ज़िंदगी खतरे में डालकर सोचिए, ये लोग अपने बच्चों को क्या खिला रहे होंगे।
हम अपनी जीभ के अधीन हैं, मिठाई, दूध और पनीर से जुड़ी चीज़ों को देखते ही हमारी जीभ लपलपान लगती है और हम उन्हें इतने चाव से खाते हैं जैसे हम इन्हें खाकर सुपरमैन बन जाएंगे। चायनीज़ खाने में पनीर का इस्तेमाल आप खुद सोचिए, किस स्तर का पनीर इस्तेमाल होता होगा। पागलों की तरह लोग सड़क किनारे खड़े पनीर मोमोस पर टूट पड़ते हैं। आप समझ सकते हैं, वे किस तरह के पनीर का इस्तेमाल कर रहे होते हैं।
ध्यान देने वाली बात है कि उत्तर प्रदेश में मिलावट का, सबसे बड़ा धंधा चल रहा है, खासकर ग़ाज़ियाबाद, नोएडा, बुलंदशहर, मेरठ, कासगंज, मथुरा, सहारनपुर, अलीगढ़, आगरा और हापुड़ जैसे शहरों में, जो दूध, घी, पनीर की मिलावट के लिए सबसे ज़्यादा मशहूर हैं। दिल्ली से सटा पश्चिमी उत्तर प्रदेश मिलावट के मामले में सबसे आगे है क्योंकि दिल्ली NCR में दूध, घी, पनीर की खपत बहुत ज़्यादा है और डिमांड लगातार बढ़ती रहती हैं. पैसे कमाने के चक्कर में ये मिलावटखोर जमकर मिलावट करते हैं. इन मिलावटखोरों ने एक ऐसा तरीका इजाद किया है कि टेस्टिंग करने वाले भी कन्फ़्यूज़ हो जाएं और खुद फेल हो जाएं कि इनकी मिलावट कैसे पकड़ी जाए.
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दूध के मिलावट में इस्तेमाल होने वाली चीज़ें कुछ इस प्रकार हैं:
- पहला है स्किम्ड मिल्क पाउडर
- दूसरा है घटिया रिफाइंड पाम ऑयल (दूध के फैट को सही करने के लिए मिलावटखोर इसका इस्तेमाल करते हैं)
- तीसरा है यूरिया (इसे दूध जैसी महक बनाने के लिए और प्रोटीन को बनाए रखने के लिए मिलावटखोरों द्वारा यूज किया जाता है)
- चौथा है रीठा शैम्पू (झाग बनाने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है)
- और, पांचवा है सफ़ोलाइट (नकली दूध को सफ़ेद करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है)
एक बार दूध बन गया तो घी और पनीर अपने आप बन जाएगा…इतना अंदाज़ा तो आप और हम अच्छे से लगा सकते हैं।
सहारनपुर में खाद्य विभाग की बड़ी कार्रवाई
आज सहारनपुर में खाद्य सुरक्षा टीम ने पुलिस के साथ मिलकर छापेमारी की. टीम ने कुल 09 सैंपल लिए और 11.35 कुंतल मिलावटी क्रीम को नष्ट किया। खाद्य सुरक्षा टीम को लंबे समय से सूचना मिल रही थी कि गांव पारली में बड़े पैमाने पर मिलावटी घी और क्रीम तैयार की जा रही है। मौके पर छापेमारी के दौरान यह पाया गया कि बिना किसी खाद्य लाइसेंस के ही ये सामग्री तैयार की जा रही थी.
आपको बता दें कि कुछ समय पहले बुलंदशहर में खाद्य विभाग ने एक ऐसा केमिकल पकड़ा था जिससे दो मिनट में हजारों लीटर दूध तैयार हो रहा था. वहीं, आगरा में पुलिस और खाद्य विभाग की कार्रवाई में एक फैक्ट्री पकड़ी गई, जिसमें मिलावटी खाद्य तेल, ऐसेंस आदि मिला कर पतंजलि, अमूल, और मधुसूदन, सहित 18 मशहूर ब्रांडों के नाम की पैकिंग में नकली देसी घी तैयार किया जा रहा था…मज़े की बात यह है कि इस ज़हर को नकली ब्रांड की पैकिंग में तैयार करने की कीमत मात्र 175 रुपये थी, जिसे मार्केट में 650 रुपये में बेचा जा रहा था.
बुलंदशहर से बरामद हुई थी 4000 किलो नकली घी
कुछ समय पहले बुलंदशहर में लगभग चार हज़ार लीटर मिलावटी घी, जो कि जानवरों की चर्बी से बना हुआ था (जिसे “Tylo” कहते हैं), खाद्य विभाग के लोगों ने पकड़ा था। इसके अलावा बुलंदशहर से ही हाल ही में, पुलिस और खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने मिलावटी पनीर का 12 कुंतल स्टॉक जब्त किया था यानी पश्चिमी उत्तर प्रदेश, मिलावटखोरों का गढ़ बन चुका है.आए दिन यहां से मिलावट की खबरें सामने आ रही हैं और करीब करीब हर रोज कोई न कोई पकड़ा जा रहा है..यहां उत्पन्न किए जा रहे जहर की खपत हर दिन दिल्ली और NCR में तेजी से हो रही है लेकिन इतनी चीजें सामने निकल कर आने के बाद भी अधिकारी आंख मूंद कर बैठे हैं और बड़े स्तर पर कोई भी कार्रवाई देखने को नहीं मिली है.
जल्द ही हो सकती है वृहद स्तर पर कार्रवाई
और हाँ, कई जगह अगर अधिकारी कार्रवाई करने की कोशिश भी करते हैं तो राजनीति से जुड़े लोग तुरंत फ़ोन करके उन्हें रोक देते हैं, और कार्रवाई रुक जाती है। और फिर से मिलावट का सिलसिला लगातार चलता रहता है। हालांकि, पिछले कुछ महीनों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश से मिलावट की इतनी ज्यादा खबरें निकल कर सामने आई हैं, जितनी पूरे देश से नहीं आई..ऐसे में इस बात की संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही मिलावटखोरों पर शिकंजा कसने के लिए सरकार और संबंधित विभाग की ओर से वृहद स्तर पर कार्रवाई देखने को मिल सकती है.
जल्द से जल्द सरकार को इन्हें रोकने पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए और इन मिलावटखोरों पर हत्या का मुक़दमा चलाना चाहिए…दोस्तों, अगर आप अपने प्रियजनों की जान इस ज़हर से बचाना चाहते हैं, तो इस जानकारी को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं.