राजस्थान की राजधानी जयपुर से सटे नाहरगढ़ की पहाड़ियों में कुछ दिन पहले दो भाई घूमने गए थे। फिर अचानक दोनों भाई ट्रैकिंग के दौरान गायब हो गए। पुलिस ने नौ दिन की तलाश के बाद एक भाई का शव तो बरामद कर लिया है, लेकिन दूसरे भाई के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। नाहरगढ़ की खतरनाक पहाड़ियों में इन दोनों भाइयों के साथ आखिर क्या हुआ, इसे लेकर रहस्य पिछले आठ दिनों से गहराता जा रहा है। इस रहस्य का राज इतना गहरा है कि जयपुर पुलिस, सिविल डिफेंस, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और अन्य विभागों की टीमें पिछले नौ दिनों से लगातार काम कर रही हैं, लेकिन अभी तक वे इस रहस्य को सुलझा नहीं पाई हैं। अब इस मामले पर हाईकोर्ट का भी ध्यान गया है।
ट्रैकिंग पर निकले थे दोनों भाई
शास्त्री नगर, जयपुर निवासी राहुल और आशीष 1 सितंबर, 2024 को सुबह छह बजे नाहरगढ़ की पहाड़ियों में ट्रैकिंग के लिए गए थे। दोनों भाई दोपहर तक ट्रैकिंग करते रहे। कुछ देर बाद दोनों भाई परिजनों को कॉल करके बताते हैं कि वे रास्ता भटक जाने के कारण अलग हो गए हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वापस कैसे लौटें।
पुलिस में लिखवाई गुमशुदगी की रिपोर्ट
इसके बाद दोपहर के डेढ़ बज रहे थे। राहुल और आशीष का परिवार शहर के शास्त्री नगर थाने में अपने 19 और 23 साल के दो बेटों के लापता होने की चिंता में रिपोर्ट लिखाने पहुंचा। वे पुलिस को पूरी कहानी बताते हैं। वे बताते हैं कि कैसे सुबह-सुबह उनके दोनों बेटे नाहरगढ़ की पहाड़ियों में घूमने गए थे। वे चरण मंदिर में दर्शन पूजन करने भी जाना चाहते थे, लेकिन जैसे-जैसे वे आगे बढ़ते गए, दोनों भाई रास्ता भटक गए और एक-दूसरे से अलग हो गए। हालांकि, शास्त्री नगर पुलिस ने मदद करने की बजाय उन्हें बताया कि ये मामले शास्त्री नगर थाने की बजाय शहर का ब्रह्मपुरी थाना में अंडर आता है।
एनडीआरएफ की टीमें भी सर्च ऑपरेशन में शामिल
इसके बाद दोपहर साढ़े तीन बजे शास्त्री नगर थाने से परेशान परिजन ब्रह्मपुरी थाने पहुंचे। उन्होंने पुलिस को पूरी घटना बताई। इस बीच इलाके के डीसीपी को जब इस घटना की खबर मिली तो वे हरकत में आए और सबसे पहले सिविल डिफेंस की टीम को मौके पर भेजा गया और फिर पुलिस की अलग-अलग टीमें भी नाहरगढ़ की पहाड़ियों की ओर रवाना हो गईं। इस तरह रविवार का दिन सर्च ऑपरेशन की औपचारिकताओं में ही बीत गया। इस बीच 2 सितंबर को सिविल डिफेंस के साथ ही स्टेट डिजास्टर रिलीफ फोर्स यानी एसडीआरएफ और नेशनल डिजास्टर रिलीफ फोर्स यानी एनडीआरएफ की टीमें भी सर्च ऑपरेशन में शामिल हो गईं।
दूसरे दिन मिली छोटे भाई की लाश
घटना के अगले दिन यानी 2 सितंबर को जंगल में लापता दोनों भाइयों में से छोटे भाई यानी 19 वर्षीय आशीष का शव मिलता है। आनन-फानन में पुलिस की मदद से शव को बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया जाता है। अब स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया जाता है। ड्रोन हेलिकॉप्टर के साथ कम से कम 200 लोग जंगल और खासकर उस रास्ते के चप्पे-चप्पे की तलाशी शुरू कर देते हैं। 1 सितंबर से 9 सितंबर तक दोनों भाइयों के लापता होने और उनमें से एक की मौत को नौ दिन बीत चुके हैं, लेकिन बड़े भाई या उसके मोबाइल फोन का कोई सुराग नहीं मिला है।
क्या छोटे भाई की मौत के पीछे थी कोई साज़िश?
पुलिस द्वारा एकत्रित की गई जानकारी के अनुसार, दोनों भाई पहले एक ही फाइनेंस कंपनी में काम करते थे और अपने लापता होने के दिन, दोनों ने कंपनी की एक महिला कर्मचारी से बात की थी। ऐसे में, अधिकारी वर्तमान में यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि दोनों भाइयों की गुमशुदगी के पीछे किसी दुर्घटना, किसी रिश्ते की समस्या या किसी साजिश का हाथ है या नहीं।
वहीं, नाहरगढ़ के ये जंगल भी भयानक तेंदुओं का घर हैं। जिसके चलते पुलिस इस मामले की जांच हर ऐंगल से कर रही है। फिलहाल उनके हाथ राहुल से जुड़ा कोई सुराग नहीं लगा है।