कानपुर देहात में एक गांव है जहां 40 साल पहले एक ऐसी घटना को अंजाम दिया गया, जिसने दुनियाभर में सुर्खियां बंटोरी। बेहमई गांव में 40 साल पहले तारीख 14 फरवरी, 1981 को एक लड़की ने अपने साथ हुई ज्यादती का ऐसा बदला लिया कि इस घटना को देखने सूनने और इसके बारे पढ़ने वालों के होश उड़ गए। ये युवा लड़की एक डकैत थी जिसका नाम था फूलन देवी, जिसने अपने बदले के लिए 22 सवर्ण लोगों को एक लाइन में खड़ाकर गोलियों से भून डाला। उसने अपने साथ किए गए रेप की वारदात का बदला लिया था।
इसके बाद तो फूलन को लोग युवा लड़की कम और बैंडिट क्वीन के तौर पर ज्यादा पहचानने लगी। फूलन देवी की कहानी इस वारदात के बाद ही खत्म नहीं हुई बल्कि उसके अंत के बाद उसकी दर्दनाक कहानी का खात्मा हो पाया। हालांकि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर फूलन देवी ने आत्समर्पण भी कर लिया, लेकिन उसे ये नहीं पता था कि उसके अंत की कहानी कहीं लिखी जा रही है।
बिहड़ों की फूलन अब आलीसान बंगलो मे रहने लगी थी लेकिन जिंदगी बदली पर अंत उसके साथ साथ ही चल रहा था। 25 जुलाई 2001 था जब दिल्ली में शेर सिंह राणा फूलन देवी से मिलने आया और फूलन के संगठन ‘एकलव्य सेना’ से जुड़ने की उसने इच्छा जाहिर की। पहले तो खीर खाई उसने और फिर घर के गेट पर ही गोलियों से फूलन को भून डाला। और तनकर कहा कि बेहमई हत्याकांड का मैंने बदला ले लिया है। दिल्ली की एक कोर्ट ने 14 अगस्त 2014 को शेर सिंह राणा को उम्रकैद की सजा सुनाई। फूलन देवी की पूरी उम्र 38 साल तक की रही जिसकी कहानी रोंगटे खड़ी करती है और समाज की कई सच्चाइयों को बयां करती है।