हाल के दिनों में डिजिटल अरेस्ट (Digital arrest) के कई मामले सामने आए हैं। इसमें कुछ जालसाज लोगों को फोन पर धमकाकर लाखों रुपए ठग लेते हैं। यह एक तरह का साइबर अपराध (Cyber Crime) है। साइबर अपराधी लोगों को डिजिटली ‘अरेस्ट’ करने की तरकीब अपनाकर नए-नए तरीके से ठगी कर रहे हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश के नोएडा (Uttar Pradesh Noida) में एक युवती के साथ भी ऐसा ही मामला सामने आया, जिसमें जालसाजों ने युवती से 6 लाख रुपए ठग लिए और उसके नाम पर 5 लाख रुपए का लोन भी करा लिया।
कैसे काम करती है ये ‘डिजिटल अरेस्ट‘ ट्रिक? (Digital Arrest Trick)
डिजिटल अरेस्ट में अपराधी फोन कॉल या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए लोगों से संपर्क करके डराने-धमकाने की तकनीक अपनाते हैं। वे खुद को सरकारी अधिकारी या पुलिसकर्मी बताकर उन्हें यह विश्वास दिलाते हैं कि उनके खिलाफ धोखाधड़ी या साइबर अपराध जैसा कोई गंभीर कानूनी मामला चल रहा है। इसके बाद वे उन्हें फर्जी दस्तावेज और सबूत भेजते हैं, जिससे वे डर जाते हैं और इस तरह अपना जाल फैलाकर वह लोगों से मनचाही रकम ऐंठ लेते हैं।
20 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट और 11.50 लाख की ठगी
आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, नोएडा में एक लड़की को 20 घंटे तक डिजिटली अरेस्ट करके 11.50 लाख रुपए ठग लिए गए। दरअसल कुछ दिन पहले सेक्टर 44 की एक सोसायटी की लड़की को एक नंबर से कॉल आया। कॉल पर उसे ऑटोमेटेड मैसेज के जरिए बताया गया कि उसका इंटरनेशनल फेडेक्स पार्सल कैंसल हो गया है। इसके बाद कॉल कस्टमर केयर अधिकारियों को ट्रांसफर कर दी गई। लड़की को बताया गया कि उसके नाम से विदेश जा रहा पार्सल मुंबई एयरपोर्ट पर पकड़ लिया गया है।
पार्सल में ड्रग्स मिलने की बात कही
लड़की को बताया गया कि उसके नाम पर भेजे गए पैकेज में नशीले पदार्थ और अन्य आपत्तिजनक सामग्री थी, जो उसके लिए सीधा खतरा था। जब उसने कहा कि उसने कोई पैकेज नहीं भेजा है, तो उसका कॉल कथित मुंबई साइबर क्राइम को भेज दिया गया। यहां, मुंबई में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने उसका कॉल रिसीव किया।
फिर उसे वीडियो कॉल करने के लिए स्काइप का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर किया गया। कहा गया कि आप डीजीपी से बात कर रहे हैं। वीडियो चैट के दौरान, लड़की को लगभग बीस घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रखा गया और बताया गया कि उसके आधार कार्ड के लिंक का इस्तेमाल आठ करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग में किया गया है। अगर आप किसी बड़ी कानूनी लड़ाई में फंसने से बचना चाहते हैं तो अपने खाते में मौजूद सारी रकम बताए गए खातों में ट्रांसफर कर दें। अगर खाते की जांच के दौरान आपके खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे पाए जाते हैं तो ट्रांसफर की गई रकम वापस कर दी जाएगी।
6.50 लाख लेकर भी नहीं छोड़ा पीछा
ये सब सुनके लड़की ने घबराकर 6.5 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए। हैरानी की बात यह है कि इसके बाद भी जालसाज पीड़िता को परेशान करते रहे। उसे जेल से बचाने के लिए जालसाजों ने उससे पांच लाख रुपए और भेजने का आग्रह किया। जालसाजों ने महिला को दिवालिया होने का दावा करके पर्सनल लोन लेने के लिए राजी किया।
घबराई महिला ने फिर 5 लाख रुपए का पर्सनल लोन लिया और फिर से जालसाजों द्वारा बताए गए खाते में पैसे भेजे। इतनी बड़ी ठगी के बाद जब उससे और पैसे मांगे गए, तभी महिला को धोखाधड़ी का पता चला। अब उसने साइबर पुलिस स्टेशन और साइबर क्राइम पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है और उन खातों के बारे में पता लगा रही है, जहां से जालसाजों ने पैसे निकाले हैं।
साइबर क्राइम से बचने के तरीके- Ways to Avoid Cybercrime
– काभी भी अज्ञात कॉलर के कहने पर पैसे न भेजें।
– कोई भी कानूनी कार्रवाई या गिरफ्तारी के लिए सरकारी एजेंसियां कभी सीधे तौर पर पैसे की मांग नहीं करतीं।
– संदिग्ध कॉल्स के बारे में तुरंत पुलिस या साइबर क्राइम सेल को सूचित करें।
– अपने बैंक अकाउंट और व्यक्तिगत जानकारी को सुरक्षित रखें और अनजानी वेबसाइटों या लिंक पर क्लिक न करें।
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