नवजोत सिंह सिद्धू जो कि एक नामचीन चेहरा है। वे मशहूर पॉलिटिशियन, कमेंटटर और पूर्व क्रिकेटर हैं, आज हर कोई जानता है। लेकिन सिद्धू की 3 दशक पहले की बड़ी गलती या अपराध ने उन्हें अब सजा काटने को मजबूर कर दिया है। उन्हें 1 साल की जेल हुई है, जहां वे अब कैदी नंबर 241383, बैरक नंबर 10, के नाम से जाने जाते है। फिलहाल वे पंजाब की पटियाला जेल में बंद हैं।
दरअसल, सिद्धू को जब से जेल की सजा मिली है, वे ठीक से कुछ खा नहीं रहे हैं। जब से वो सलाखों के पीछे पहुंचे हैं,उनकी आज़ादी छिन चुकी है। अब तो हालत ये है कि जेल के अंदर पिछले तीन दिनों से उन्हें ढंग का खाना तक नसीब नहीं हुआ। सिद्धू ना तो रोटी खा सकते हैं और ना ही चावल। आलम ये है कि वे बीते 3 दिनों से केवल सलाद से ही काम चला रहे हैं। असल में सिद्धू को तीन ऐसी गंभीर बीमारियां हैं, जिनकी वजह से जेल में मिलने वाले रोटी-चावल को वे नही खा सकते। ऐसे में उन्हें चुनिंदा भोजन पर ही निर्भर रहना पड़ता है।
सिद्धू ने क्यों नही खाया खाना
वहीं सिद्धू के खाना ना खाने को लेकर वकील एचपीएस वर्मा ने बताया, कि वे खराब स्वास्थ्य स्थितियों और एलर्जी का सामना कर रहे हैं। वे गेहूं की रोटी, तले भोजन और चाय का सेवन नहीं कर सकते। इसलिए उन्हें विशेष खाने की इजाजत दी जानी चाहिए। सिद्धू को लीवर की समस्या ग्रेड 3 और एम्बोलिज्म का भी सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही सिद्धू के वकील एचपीएस वर्मा ने सहायक रिकॉर्ड के साथ सिद्धू की मेडिकल हिस्ट्री को भी अदालत में दिया था। वर्मा ने कहा कि सिद्धू खून के गाढ़ेपन का सामना करने के बावजूद दवाएं नहीं ले सके, क्योंकि उन्हें विशेष खाने की जरूरत थी। इसके अलावा मेडिकल बोर्ड की सिफारिश पर न्यायिक मजिस्ट्रेट ने जेल में नवजोत सिंह सिद्धू को स्पेशल डाइट की अनुमति दी है।
जेल में मिली ये सुविधा
हालांकि खाने के अलावा सिद्धू को रहन-सहन में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कैदी के तौर पर उन्हें जेल में पहनने के लिए ना सिर्फ़ कैदियों वाले सफ़ेद कपड़े दिए गए, बल्कि रोजमर्रा के इस्तेमाल की वही चीज़ें दी गईं, जो दूसरे कैदियों को मिलती हैं। इनमें एक कुर्सी-टेबल, एक आलमारी, 2 पगड़ी, एक कंबल, एक बैड, तीन अंडरवियर और बनियान, 2 टॉवल, एक मच्छरदानी, एक कॉपी-पैन, जूतों की जोड़ी, 2 बैड शीट, दो तकिया कवर और 4 कुर्ते-पायजामे शामिल हैं। वहीं सोने के लिए बिस्तर भी दूसरे क़ैदियों की तरह सीमेंट का बना थड़ा ही दिया गया।
मुंशी की नौकरी करेंगे सिद्धू
इसके अलावा सिद्धू को वहां नौकरी भी दी गई है। नवजोत सिंह सिद्धू को जेल में क्लर्क का सहायक नियुक्त किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जेल अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार से ही सिद्धू ने अपना काम करना शुरू कर दिया था। सिद्धू सहायक की नौकरी दो शिफ्ट में करेंगे। जिसमें पहली शिफ्ट सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक रहेगी और फिर दूसरी दोपहर के 3 बजे से शाम 5 बजे तक रहेगी। जेल के नियमों के अनुरूप सिद्धू को पहले तीन महीने बिना वेतन के ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके बाद उन्हें अकुशल, अर्ध-कुशल व कुशल कैदी की श्रेणी में रखा जाएगा।इसके बाद श्रेणी के आधार पर उन्हें 30 रुपये से 90 रुपये के बीच वेतन मिल सकता है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब जेल के एक अधिकारी ने कहा कि सिद्धू को एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है। लेकिन उनकी स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों को देखते हुए ऑफिस के काम पर रखा गया है। अधिकारी ने कहा कि वह नौकरी करते हुए जेल रिकॉर्ड बनाए रखने में मदद करेंगे।
जाहिर है कि 34 साल पुराने रोड रेज के मामले में सुप्रीम कोर्ट से उन्हें 1 साल की जेल की सजा काटने की सजा सुनाई गई। जिसके बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने पटियाला के चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट में सरेंडर किया था। हालांकि सरेंडर करने से पहले उन्होंने शुक्रवार को उसी सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर से अपनी फ़रियाद लगाई ताकि सरेंडर के लिए थोड़ी और मोहलत मिल सके। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इजाजत नही दी, इस कारण सिद्धू को उसी दिन सरेंडर करना पड़ा। बहरहाल, वे सरेंडर कर जेल चले गए।
क्या है पूरा मामला
बता दें कि 27 दिसंबर 1988 को पार्किंग को लेकर सिद्धू की पटियाला निवासी गुरनाम सिंह से बहस हो गई थी। सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह संधू ने कथित तौर पर गुरनाम सिंह को घुटने से मारा था। बाद में उनकी अस्पताल में ही मौत हो गई। गुरनाम की मौत के बाद सिद्धू पर गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज हुआ और 1998 के मामले में सिद्धू पर रोड रेज का केस दर्ज हुआ। रोड रेज केस में सुप्रीम कोर्ट ने तीन साल की जेल के बदले 1000 रुपए का जुर्माना सिद्धू पर लगाया। SC के इसी फैसले के खिलाफ अपील दायर की गई। जिसके बाद 25 मार्च 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। बहरहाल, 19 मई 2022 को कोर्ट ने सिद्धू को 1 साल के सश्रम कारावास का फैसला सुना दिया।