भारत में अंडरवर्ल्ड का प्रभाव (Underworld Influence in India) दशकों से देखा जा रहा है, जिसकी शुरुआत मुंबई से हुई और अब यह धीरे-धीरे दिल्ली और उत्तर भारत की ओर बढ़ रहा है। हाजी मस्तान (Haji Mastan), करीम लाला (Karim Lala) और दाऊद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) जैसे नाम कभी मुंबई अंडरवर्ल्ड के केंद्र में थे, लेकिन हाल के वर्षों में लॉरेंस बिश्नोई (Lawrence Bishnoi) जैसे अपराधियों का प्रभाव दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में बढ़ता दिख रहा है। इस बदलाव के पीछे कई कारण और परिस्थितियां काम कर रही हैं। आइए समझते हैं कि अंडरवर्ल्ड का केंद्र मुंबई से दिल्ली कैसे स्थानांतरित हुआ।
मुंबई का अंडरवर्ल्ड: हाजी मस्तान, करीम लाला और दाऊद का दौर – Mumbai Underworld
1960 के दशक से लेकर 1990 के दशक तक हाजी मस्तान, करीम लाला और दाऊद इब्राहिम ने मुंबई अंडरवर्ल्ड पर अपना दबदबा बनाए रखा। इनका मुख्य काम तस्करी, हवाला और माफिया गतिविधियों से जुड़ा था। हाजी मस्तान और करीम लाला ने खुद को ‘रॉबिन हुड’ की छवि में पेश किया, वहीं दाऊद इब्राहिम ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना आपराधिक साम्राज्य फैलाया।
1993 के मुंबई धमाकों (1993 Mumbai Blasts) के बाद दाऊद इब्राहिम का नाम सामने आया और तब से मुंबई पुलिस और भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने मुंबई अंडरवर्ल्ड पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया। कई बड़े गैंगस्टर या तो मारे गए या गिरफ्तार किए गए और इसके बाद अंडरवर्ल्ड का परिदृश्य बदल गया।
1990 के बाद: दो दशक की खामोशी
1990 के बाद मुंबई में अंडरवर्ल्ड की गतिविधियाँ कम हो गईं और पुलिस और कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने माफिया के खिलाफ़ बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किए। इस दौरान कई अपराधी या तो विदेश भाग गए या मारे गए। दाऊद इब्राहिम ने दुबई और कराची में शरण ली और मुंबई अंडरवर्ल्ड धीरे-धीरे कमज़ोर होता गया।
खामोशी के इस दौर में मुंबई में अंडरवर्ल्ड का दबदबा लगभग खत्म हो गया। हालांकि छोटे-मोटे अपराधी और गिरोह सक्रिय थे, लेकिन वे दाऊद, हाजी मस्तान और करीम लाला जैसे बड़े माफियाओं जितने प्रभावी नहीं थे।
अंडरवर्ल्ड का दिल्ली और उत्तर भारत की ओर रुख- Underworld New Hub Delhi
हालांकि, हाल के वर्षों में अंडरवर्ल्ड की गतिविधियाँ दिल्ली और उत्तर भारत की ओर बढ़ती दिख रही हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि उत्तर भारत के कस्बों और ग्रामीण इलाकों से आने वाले अपराधी संगठित अपराध में कदम रख चुके हैं। इन अपराधियों में लॉरेंस बिश्नोई और उसके जैसे कई अन्य गैंगस्टर शामिल हैं, जो मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान से ताल्लुक रखते हैं।
लॉरेंस बिश्नोई और उसके गिरोह ने दिल्ली और एनसीआर में अपनी पकड़ बना ली है। बिश्नोई का गिरोह खास तौर पर हाई-प्रोफाइल अपराधों और हत्याओं के लिए जाना जाता है। इसके अलावा उत्तर भारत के कई अन्य गिरोह भी संगठित अपराध और माफिया गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं, जिससे दिल्ली एक नया अंडरवर्ल्ड हब बन गया है।
आधुनिक अपराधी और गिरोह: नई रणनीति और नेटवर्क
मुंबई के पारंपरिक अंडरवर्ल्ड की तुलना में दिल्ली के अपराधियों ने आधुनिक तकनीकों और रणनीतियों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। ये अपराधी सोशल मीडिया, डार्क वेब और संगठित अपराध नेटवर्क का इस्तेमाल करके अपने गिरोह का संचालन कर रहे हैं। लॉरेंस बिश्नोई का गिरोह इसका एक प्रमुख उदाहरण है, जो अपनी धमकियों को प्रसारित करने और अपराध करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करता है। उसके गिरोह में शामिल अपराधी न केवल दिल्ली और एनसीआर में सक्रिय हैं, बल्कि उनका नेटवर्क उत्तर भारत के कई राज्यों में भी फैला हुआ है।
दिल्ली पुलिस की चुनौती
अंडरवर्ल्ड में दिल्ली का उभार इसके सामरिक महत्व के कारण भी है। यह भारत की राजधानी है और यहां से उत्तर भारत के अन्य प्रमुख राज्यों तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां राजनीतिक और आर्थिक गतिविधियों का केंद्र होना भी दिल्ली में विभिन्न आपराधिक गिरोहों के पनपने का एक बड़ा कारण है।
उत्तर भारत में फैल रहे इन संगठित अपराधों से निपटना अब दिल्ली पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती है। दिल्ली में लॉरेंस बिश्नोई जैसे गैंगस्टरों का बढ़ता प्रभाव सुरक्षा एजेंसियों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया है।