पूर्व क्रिकेटर और कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू को रोड रेज मामले में अदालत ने 1 साल के सश्रम कारावास की सजा सुना दी है। वहीं सिद्धू ने अपने आप पटियाला कोर्ट के सामने सरेंडर भी कर दिया है। अब ऐसे में सश्रम कारावास क्या होता है आइए जानते है।
सश्रम कारावास का मतलब है कि किसी मामले में दोषी पाए गए शख्स को जेल में सजा काटने के समय कठिन परिश्रम वाला काम दिया जाता है। जाहिर है कि जेल में रहने वाले कैदी अपने छोटे-मोटे काम खुद ही करते है। लेकिन दोषी ठहराये गए कैदियों को सजा के दौरान अदालत के दिए गए निर्देशों पर अलग-अलग काम जेल प्रशासन की ओर से सौंपे जाते है। जिसमें साफ-सफाई, बढ़ईगिरी, पत्थर तोड़ना, रंग-रोगन, वेल्डर, पेंटर और किचन का काम शामिल होता है। सश्रम कारावास पाने वाले कैदियों को जेल प्रशासन कठोर काम कराता है। दिए गए कामों को तय समय में पूरा करना होता है, जिसके लिए उन्हें मेहनताना भी हर दिन के मुताबिक दिया जाता है।
बता दें कि 1998 में नवजोत सिंह सिद्धू की कार पार्किंग को लेकर 65 साल के बुजुर्ग गुरनाम सिंह से कहासुनी हो गई। बात इतनी ज्यादा बढ़ गई थी कि हाथापाई तक जा पहुंची। जिसके बाद सिद्धू ने गुरनाम सिंह को घुटना मारकर गिरा दिया। जिससे गुरनाम सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए। घायल हुए गुरनाम सिंह को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई। लेकिन अस्पताल से मिली रिपोर्ट में आया कि गुरनाम सिंह की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई। गुरनाम सिंह की मौत के बाद उसी दिन सिद्धू पर कोतवाली थाने में गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज हुआ। 1988 के मामले में सिद्धू पर रोड रेज का दर्ज हैं।
हालांकि रोड़ रेज के केस में उन पर चोट पहुंचाने की धारा लगी थी, इस मामले में सिद्धू को बरी करते हुए तीन साल की सजा को 1000 रुपए के जुर्माने में बदल दिया था। सुप्रीम कोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ अपील दायर की गई थी। जिसके बाद 25 मार्च, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। बहरहाल 19 मई को कोर्ट ने सिद्धू को 1 साल के सश्रम कारावास का फैसला सुना दिया।