7 दिसंबर 2013 की सुबह एक दुल्हन सात फेरे लेने के सपने संजोए सैलून में तैयार हो रही थी, तभी किसी ने उस पर तेजाब फेंक दिया। तेजाब इस तरह फेंका गया कि दुल्हन बुरी तरह जल गई। आनन-फानन में परिवार वाले दुल्हन को अस्पताल ले गए और वहां उसने 20 दिनों तक मौत से जंग लड़ी और हार गई। इस तरह दुल्हन की दर्दनाक कहानी खत्म होती है। हालांकि ये कहानी अभी खत्म नहीं होती क्योंकि उसे मारने वाली कोई और नहीं बल्कि उसकी जेठानी थी। ये कहानी है हरप्रीत कौर की, जिसने बिना किसी वजह सिर्फ एक रंजिश के चलते अपनी जान गंवा दी। आइए आपको लुधियाना ब्यूटी पार्लर कांड की घटना के बारे में बताते हैं, जिसे सुनकर आपकी रूह कांप जाएगी।
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ब्यूटी पार्लर में सजने आई थी हरप्रीत
शहर के सराभा नगर थाने में दर्ज मामले के अनुसार इस दिल दहला देने वाली घटना में मुख्य अपराधी परविंदर सिंह ने 7 दिसंबर 2013 को सराभा नगर के मुख्य बाजार के पास स्थित लैक्मे सैलून में वारदात को अंजाम दिया था। उसने शादी से चंद घंटे पहले तैयार होने आई दुल्हन हरप्रीत कौर पर तेजाब फेंक दिया था। उस समय पार्लर में काम करने वाली महिलाएं हरप्रीत को तैयार कर रही थीं। आरोपी परविंदर सिंह मुंह पर कपड़ा बांधे और हाथ में तेजाब से भरा मग लेकर आया और हरप्रीत को नाम से पुकारने लगा। जब हरप्रीत ने हां में जवाब दिया तो उसने उस पर तेजाब फेंक दिया और धमकी भरा पत्र छोड़ गया। वहीं आरोपी परविंदर बाहर कार में इंतजार कर रहे अपने साथियों के साथ फरार हो गया। इस हादसे में उसका पूरा चेहरा और शरीर जल गया। झुलसी दुल्हन को तुरंत डी.एम.सी. लुधियाना में भर्ती कराया गया, जहां उसकी गंभीर हालत को देखते हुए डी.एम.सी. से मुंबई के एक अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया।
इलाज के दौरान हुई मौत
वहां इलाज के दौरान 27 दिसंबर 2013 को उसकी मौत हो गई। दविंदर कौर ने बताया कि उनकी बेटी के इलाज का खर्च करीब 6 लाख रुपए आया। पंजाब के तत्कालीन वित्त मंत्री परमिंदर ढींडसा हरप्रीत के अंतिम संस्कार में शामिल होने आए और परिवार को 5 लाख रुपए का चेक दिया। लेकिन सारा पैसा केस लड़ने में ही खर्च हो गया। हरप्रीत की अंतिम अरदास पर राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढींडसा ने बेटे को सरकारी नौकरी देने और बेटी की याद में पार्क बनवाने का ऐलान किया था। लेकिन उनका वादा खोखला साबित हुआ। दविंदर ने बताया कि उनके बेटे दलजीत सिंह को सुविधा सेंटर बरनाला में मामूली वेतन पर अस्थायी नौकरी दी गई थी, लेकिन बाद में उसे नौकरी से निकाल दिया गया।
फिर दविंदर कौर को उनके बेटे की जगह अस्थायी तौर पर नियुक्त किया गया, लेकिन अब वह घर पर ही हैं क्योंकि सुविधा केंद्र बंद है। हरप्रीत की माँ के मुताबिक उनके बेटे दलजीत सिंह की मौत हो गई है। उनके पति जसवंत सिंह बीमारी के कारण काम नहीं कर पा रहे हैं और उनका बेटा अर्शदीप सिंह भी बेरोजगार है। गरीबी के कारण उसे अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी और अब उनके घर में कोई कमाने वाला नहीं है।
केस दबाने के लिए दिया 60 लाख का ऑफर
वह कहती हैं कि कोर्ट ने उन्हें और मरहूम बच्ची को तो इंसाफ दे दिया, लेकिन सरकार ने न तो उनको नौकरी दी और न ही पार्क बनवाया। दविंदर कौर अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए लड़ती रहीं। आरोपियों ने उन्हें केस वापस लेने के लिए 60 लाख रुपए का ऑफर भी दिया, लेकिन वह अपनी बेटी की आत्मा को न्याय दिलाना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने उनके ऑफर को ठुकरा दिया। लुधियाना कोर्ट में इस केस के लिए 300 से ज़्यादा तारीखें तय की गईं। लेकिन आखिरकार 25 दिसंबर 2016 को लुधियाना कोर्ट ने सभी आरोपियों को उम्रकैद की सज़ा सुनाई।
आरोपियों को मिली सख्त सजा
एसिड अटैक मामले में मुख्य आरोपी अमृतपाल कौर और परविंदर सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। इसमें खास बात यह है कि उम्रकैद के लिए दोनों को कम से कम 25 साल जेल में बिताने होंगे। जबकि अन्य आरोपी सनी प्रीत सिंह, जसप्रीत सिंह, गुरसेवक सिंह, राकेश कुमार को भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई है, लेकिन उनके लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं है। जजमेंट राइटर तेजिंदर कपूर के मुताबिक यह एक ऐतिहासिक फैसला है जिसमें मुख्य आरोपी को उम्रकैद की सजा होने पर 25 साल जेल में बिताने होंगे। हालांकि इस केस के सातवें आरोपी अश्वनी कुमार को अदालत ने सबूतों के अभाव में रिहा कर दिया, जिस पर दोषियों का सहयोग करने का इलजाम था।
इस वजह से हरप्रीत की शादी नहीं होने देना चाहती थी अमृतपाल
हरप्रीत की मां के अनुसार इस मामले में मुख्य आरोपी अमृतपाल कौर और परविंदर सिंह अपने साथियों के साथ पहले भी बरनाला में उनके घर आकर धमकी दे चुके थे कि वे हरप्रीत कौर की शादी कोलकाता के परिवार में नहीं होने देंगे। दरअसल अमृतपाल कौर कोलकाता के परिवार की बहू थी और उसका अपने पति से तलाक हो चुका था, जिसके चलते वह रंजिश रखती थी। वारदात को अंजाम देने से पहले सभी आरोपियों ने फोन पर इसकी योजना बनाई थी, जिसकी कॉल डिटेल और टावर लोकेशन की मदद से पुलिस आरोपियों को पकड़ने में सफल रही।