नाभा जेल ब्रेक केस…यह केस कई सालों बाद एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। इस केस में पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है। दरअसल, इस केस के मास्टरमाइंड रमनजीत सिंह उर्फ रोमी को गुरुवार को भारत लाया जा रहा है। हांगकांग से उसके प्रत्यर्पण की मंजूरी मिलने के बाद वहां की सरकार ने उसे भारत सरकार को सौंप दिया है। रोमी नाभा जेल ब्रेक केस में भगोड़ा है, जिसे गिरफ्तार करने में पंजाब पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है। ऐसे में आठ साल पहले हुई इस घटना को याद करने का यह सही समय है। इस घटना में पुलिस की वर्दी पहने करीब दो दर्जन अपराधियों ने नाभा जेल पर हमला कर 6 खूंखार अपराधियों को छुड़ा लिया था।
साजिश के दौरान रिहा होने वाले आठ अपराधियों में से दो लापरवाही के कारण रिहा नहीं हो पाए। हालांकि, नाभा जेल ब्रेक प्रकरण में शामिल अपराधियों की संख्या और पहचान अज्ञात है। अधिकारियों का दावा है कि इस घटना से जुड़ी सभी चिंताओं का समाधान तब होगा जब इस घटना का मास्टरमाइंड रोमी भारत आएगा और उससे पूछताछ की जाएगी। नाभा जेल कुख्यात पंजाबी माफिया गुरप्रीत सिंह शेखो और उसके पांच अन्य साथियों का घर था।
नाभा जेल ब्रेक कांड की पूरी कहानी
नाभा में कैदी गुरप्रीत सिंह शेखो ने रोमी से अगस्त और सितंबर के महीनों में पैरोल तय करके उसे बाहर ले जाने की गुहार लगाई थी। इसके बाद 27 नवंबर 2016 को रोमी ने खुद ही पूरी योजना बनाई और अपने दोस्तों के साथ मिलकर पटियाला की नाभा जेल पर हमला किया। इस छापेमारी के दौरान उसने खालिस्तान लिबरेशन फोर्स के मुखिया हरमिंदर सिंह मिंटू और अपराधी गुरप्रीत सिंह शेखो समेत छह दोषियों को भागने में मदद की।
हमले मे हुआ था मिंटू का एनकाउंटर
भागने के बाद उसने इन सभी कैदियों को विदेश भागने के लिए पैसे और वीजा पासपोर्ट मुहैया करवाए थे। हालांकि, इस घटना के कुछ समय बाद ही मिंटू को पंजाब पुलिस ने पकड़ लिया था। घटना में शामिल गैंगस्टर विक्की गौंडर पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। पंजाब पुलिस के मुताबिक, इस मामले में 30 अपराधियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था।
मुदकी में एकत्र हुए थे सभी बदमाश
उसी समय पुलिस की वर्दी पहने बदमाशों द्वारा किए गए हमले के दौरान छह कैदी जेल से भागने में सफल रहे। फिर भी, जेल में बचे दो कैदियों को जेल पुलिस ने पकड़ लिया। पंजाब पुलिस के अनुसार, रोमी के एक दोस्त पिंडा को उत्तर प्रदेश में हिरासत में लिया गया था। उसने रोमी की पूरी साजिश का पर्दाफाश किया। उसने दावा किया कि जेल से भागने की योजना के तहत सभी बदमाश पटियाला के नज़दीक मुदकी में मिले। यहीं पर उन्होंने चार कारें चुराईं, उनकी असली नंबर प्लेट उतारी और उनकी जगह एक एक्टिवा स्कूटर की नंबर प्लेट लगा दी। पुलिस की वर्दी पहने ये लोग मुदकी पहुंचे और गाड़ियों में सवार 12 लोगों को नाभा जेल ले जाया गया।
ये सभी अपराधी हरियाणा के कैथल में अपराध करने के बाद मिलते थे और वहां से अलग-अलग दिशाओं में निकल जाते थे। अपराध के बाद असलम को जेल से भागने वाले अपराधियों को शरण देने का काम सौंपा गया था। असलम एक शार्पशूटर था जो सोनीपत में रहता था।