Kasganj news: हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कासगंज के एक मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि नाबालिग पीड़िता के स्तनों को छूना, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना, और उसे पुलिया के नीचे खींचना बलात्कार या बलात्कार के प्रयास की श्रेणी में नहीं आता। बल्कि, यह यौन उत्पीड़न के अंतर्गत आता है। उच्च न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा जारी किए गए समन आदेश में संशोधन करते हुए, नए धाराओं के तहत आरोपी के खिलाफ नींद समन आदेश जारी करने का आदेश दिया है। आइए, इस लेख में हम पूरे मामले के बारे में बताते हैं।
जानें क्या है पूरा मामला?
कासगंज के पटियाली थानाक्षेत्र में नवंबर 2021 में एक दुखद घटना हुई। पीड़िता ने बताया कि 10 नवंबर की शाम, जब वह अपनी 14 साल की बेटी के साथ ननद के घर से लौट रही थी, तभी गांव के दो युवक, पवन और आकाश, ने उनकी बेटी को बाइक से घर छोड़ने का प्रस्ताव दिया। भरोसा करते हुए, उन्होंने अपनी बेटी को बाइक पर बैठने दिया। लेकिन सुनसान रास्ते पर पहुंचते ही, दोनों ने बाइक रोक दी और नाबालिग के साथ बुरा व्यवहार किया। उन्होंने उसे नाले में खींच लिया और उसके पजामे का नाड़ा तोड़ दिया। अचानक राहगीरों के आने पर, दोनों आरोपी वहां से भाग निकले।
दरअसल, इस मामले में आरोपी पर नाबालिग लड़की का यौन शोषण करने का आरोप था। पीड़िता ने आरोप लगाया कि आरोपी ने उसके स्तनों को पकड़ा, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ा और उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश की। जिसके बाद निचली अदालत ने आरोपी पर बलात्कार के प्रयास का आरोप लगाया था। आरोपी ने निचली अदालत के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी।
आरोपी और पीड़ित करीबी रिश्तेदार
इस मामले में आरोपी और पीड़ित करीबी रिश्तेदार हैं। आरोपी आकाश पीड़िता का मौसेरा भाई है।दूसरा आरोपी पवन आकाश का चचेरा भाई है। इस घटना से पहले 17 अक्टूबर 2021 को आरोपी आकाश की मां रंजना ने एक एफआईआर दर्ज कराई थी जिसमें राजीव, शैलेंद्र, सुखवीर और विदेश पर छेड़खानी का आरोप लगाया था। आरोपी सुखबीर नाबालिग लड़की का चाचा है और शिकायत दर्ज करने वाली पीड़िता की मां का देवर है।
और पढ़े: Meerut Murder case: खुशियों की झूठी तस्वीर… सौरभ के साथ नाचती कातिल मुस्कान, आखिरी वीडियो का सच
पुलिस ने इस मामले में सुखबीर समेत सभी आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है। नाबालिग लड़की के साथ हुई घटना पर जारी सम्मन पर सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट ने साफ कहा कि जिन लोगों से पहले से रंजिश रही हो उनके साथ कोई मां अपनी नाबालिग लड़की को भेजेगी ऐसा मुश्किल लगता है। नाबालिग के साथ हुई घटना पर जारी हुए सम्मन पर आरोपियों की तरफ से सम्मन को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर कर दलील दी शिकायत के अनुसार, यह मामला बलात्कार के अंतर्गत नहीं आता है। बल्कि, यह केवल भारतीय दंड संहिता की धारा 354बी और छेड़छाड़ से संबंधित POCSO अधिनियम के अंतर्गत आता है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस ने सुनाया फैसाला
मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा शामिल थे, ने साफ कहा कि पीड़िता के स्तनों को पकड़ना, उसके पजामे का नाड़ा तोड़ना और उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश करना बलात्कार या बलात्कार के प्रयास के दायरे में नहीं आता है। कोर्ट ने इसे गंभीर यौन हमला तो माना, लेकिन इसे बलात्कार के प्रयास का आरोप नहीं माना। कोर्ट ने यह भी कहा कि बलात्कार के प्रयास और इस अपराध की तैयारी के बीच महत्वपूर्ण अंतर को समझना जरूरी है।
इसके अलावा हाईकोर्ट ने निचली अदालत को संशोधित धाराओं के तहत आरोपियों के खिलाफ नए सिरे से समन जारी करने का निर्देश दिया। वही अदालत ने कहा कि बलात्कार के प्रयास के लिए, यह साबित करना आवश्यक है कि आरोपी का इरादा पीड़िता के साथ बलात्कार करने का था। अदालत ने कहा कि आरोपी के कृत्य, हालांकि यौन उत्पीड़न हैं, बलात्कार के प्रयास के लिए पर्याप्त नहीं हैं।