Ghaziabad News: नोएडा से 20 साल पहले अगवा हुए एक युवक ने खोड़ा थाने (Khoda police station) पहुंचकर अपनी दर्दनाक कहानी सुनाई। 30 साल के इस युवक का दावा है कि जब वो 10 साल का था तो कुछ अज्ञात लोग उसे नोएडा से ट्रक में डालकर राजस्थान (Rajasthan) के जैसलमेर (Jaisalmer) के बीहड़ जंगलों में छोड़ गए थे। वहां से संघर्ष करते हुए वो एक गांव में पहुंचा जहां उसे भेड़ चराने पर मजबूर कर दिया गया।
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20 साल तक भेड़ चराने के बाद दिल्ली लौटा– Ghaziabad News
युवक ने पुलिस को बताया कि 20 साल तक वह राजस्थान (Rajasthan) के एक गांव में भेड़ चराता रहा। हाल ही में, जब दिल्ली का एक व्यापारी वहां भेड़ खरीदने आया, तो उसने अपनी आपबीती व्यापारी को सुनाई। व्यापारी की मदद से वह दिल्ली पहुंचा और फिर नोएडा में अपने घर की तलाश शुरू की।
नोएडा के घर की धुंधली यादें
युवक (Raju Noida kidnapped story) को अपने घर की कुछ धुंधली यादें हैं। उसने बताया कि उसके घर में चार बहनें और माता-पिता थे। वह गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ने जाता था और रास्ते में एक हनुमान मंदिर पड़ता था। उनके घर में चार कमरे थे, जिनमें दो पक्के और दो कच्चे थे। युवक को याद है कि गांव के आसपास जंगल था और ज्यादा कुछ नहीं था। पुलिस ने युवक से मिली जानकारी के आधार पर जांच शुरू कर दी है।
बाजू पर गुदा है ‘राजू’
एसीपी इंदिरापुरम स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि युवक की बाजू पर ‘राजू’ नाम गुदा हुआ है, जिसे उसने जैसलमेर में गुदवाया था। हालांकि, उसे अपने माता-पिता का नाम या गांव का सही पता याद नहीं है। वह सिर्फ इतना कहता है कि वह नोएडा के किसी गांव का रहने वाला है।
पुलिस कर रही है मदद
एसीपी इंदिरापुरम के अनुसार खोड़ा थाना पुलिस इस युवक को उसके परिवार के पास भेजने का प्रयास कर रही है। युवक के रहने और खाने की व्यवस्था कर दी गई है। साथ ही, उसके द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर उसके घर का पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन युवक को कुछ भी याद नहीं है। उसकी बातों से ऐसा लग रहा है कि वह नोएडा के इस गांव से आया है, लेकिन वह कुछ समझ नहीं पा रहा है, क्योंकि पिछले 20 सालों में बहुत कुछ बदल गया है।
पुलिस को मिला परिवार का पता
राजस्थान के जैसलमेर से नोएडा लौटे राजू की घर वापसी की कहानी जितनी भावुक थी, उसका अंत उतना ही झकझोर देने वाला रहा। नवभारत टाइम्स की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, खोड़ा पुलिस ने तीन दिन की मेहनत के बाद राजू के परिवार का पता लगा लिया। राजू नोएडा का नहीं, बल्कि साहिबाबाद क्षेत्र के शहीद नगर का रहने वाला निकला। यहां तक कि उसके अपहरण का मामला 8 सितंबर 1993 को साहिबाबाद थाने में दर्ज किया गया था।
बहनों ने अपनाया, पिता ने किया इनकार
पुलिस ने राजू के पिता भीम सिंह के परिवार से संपर्क किया। मंगलवार शाम राजू की दो बड़ी बहनें उससे मिलने थाने पहुंचीं। राजू ने दोनों को पहचान लिया और बचपन के नाम से पुकारा। बहनों ने उसे गले लगाकर बर्थ मार्क की पुष्टि की। हालांकि, बुधवार को पिता और मां से मिलने की उम्मीद लेकर बैठे राजू को बड़ा झटका लगा।
राजू के पिता भीम सिंह ने उसे अपना बेटा मानने से इनकार कर दिया। बहनों और मां को भी राजू से मिलने से रोका गया। इस निर्णय ने न केवल राजू बल्कि पूरे परिवार को असमंजस में डाल दिया।
पिता की उदासीनता का कारण
राजू के चाचा भोज राज सिंह ने बताया कि बेटे के गुम होने के बाद भीम सिंह ने उसकी काफी तलाश की। मंदिरों और ज्योतिषियों के पास चक्कर लगाए लेकिन सफलता नहीं मिली। इस घटना ने उन्हें गहरे अवसाद में डाल दिया। उन्होंने सत्संग और मंदिरों में जाना शुरू कर दिया और परिवार के प्रति उदासीन हो गए।
भीम सिंह ने रिटायरमेंट के बाद आटा चक्की खोल ली और अपने जीवन को इस काम में व्यस्त कर लिया। राजू की बहनों की शादी भी उन्होंने देरी से की। यहां तक कि राजू की छोटी बहन की शादी को लेकर भी वह गंभीर नहीं हैं।
रिश्तेदारों ने लिया राजू को साथ
पिता के इनकार के बावजूद, राजू की बहनें और अन्य रिश्तेदार उसे थाने से अपने साथ ले गए। हालांकि, इस घटना ने राजू को गहरा आघात पहुंचाया है। 30 सालों बाद घर लौटने की उसकी खुशी चंद पलों में कड़वाहट में बदल गई।
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