उत्तर प्रदेश की पुलिस अक्सर ही किसी ना किसी वजह से खबरों का हिस्सा बनी रहती हैं। यूपी पुलिस कई बार ऐसे कारनामे कर देती हैं, जिसकी वजह से खाकी वर्दी विवादों में रहती हैं। पुलिस की छवि पर दाग लगते रहते हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है। दरअसल, कानपुर में कोर्ट के आदेश पर लखनऊ के 8 पुलिसकर्मियों पर ही केस दर्ज किया गया है। ये केस हुआ डकैती के मामले में, वो भी 40 लाख रुपये की।
सट्टे के आरोप में हुए थे अरेस्ट
दरअसल, मामला इस साल के जनवरी का है। जब डीसीपी ईस्ट की टीम ने कुछ लोगों को कानपुर में क्रिकेट में सट्टा लगाने के केस में अरेस्ट किया। पुलिस ने उस वक्त ये आरोप लगाए थे कि क्रिकेट मैच में ये लोग लखनऊ से कानपुर तक सट्टा खिलाते थे। इसके लिए इनका एक बड़ा नेटवर्क है। इस मामले में कानपुर के मयंक सिंह, दुर्गेश सिंह, आकाश गोयल और शमशाद अहमद की गिरफ्तारी हुई थी।
मयंक ने लगाए पुलिस पर ये आरोप
फिर जब मयंक सिंह जेल से छूटा, तो उसने तत्कालीन DCP की क्राइम टीम पर ही डकैती का केस दर्ज करा दिया। मयंक की तरफ से आरोप लगाए गए कि 24 जनवरी की शाम को जब वो अपने दोस्त के साथ स्कूटी पर जा रहे थे, तो दो गाड़ियों से क्राइम ब्रांच की टीम आई और उनको हिरासत में ले लिया। थाने में रखने के बाद मयंक के मामा दुर्गा सिंह और एक कोचिंग संचालक को भी लखनऊ के हजरतगंज इलाके से हिरासत में लिया गया।
आरोप ऐसे लगाए गए कि टीम ने दुर्गा सिंह के बड़े भाई विक्रम से एक करोड़ रुपए की मांग की, लेकिन फिर बात 40 लाख में ही बन पाई। कानपुर जाकर पुलिस की टीम ने ये पैसे विक्रम सिंह से लिए। मयंक के आरोपों के मुताबिक पुलिस टीम ने 40 लाख रुपए ले लिए और इसके बाद भी लखनऊ के थाने में केस दर्ज कराकर 4 आरोपियों को जेल भेज दिया। ये भी उनका कहना है कि क्राइम टीम कानपुर में 40 लाख रुपए लेने के बाद, उस दिन ही दुर्गा सिंह के घर गई और वहां तलाशी ली। इस दौरान घर में रखे 30 हजार रुपए और करीब डेढ़ लाख के जेवरात तक लूट लिए।
8 पुलिसकर्मियों पर हुई FIR
आरोपों के मुताबिक बाद में फिर जब मामला गंभीर हो गया और पुलिस ने इसमें खुद को फंसता हुआ देखा, तो बचाव में पुलिस ने जुआं खेलने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया। अब कोर्ट ने 8 पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया। कोर्ट के आदेश के बाद कानपुर के काकादेव थाने में पुलिसवालों पर FIR दर्ज की गई।