दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा से डिजिटल रेप का मामला सामने आया है। जहां एक पिता ने अपने पांच साल की बेटी के साथ डिजिटल रेप किया। बच्ची ने इसकी जानकारी मां को दी। मां ने पूछताछ की तो पता चला कि पिता ने बच्ची के साथ डिजिटल रेप किया है।
दरअसल, ग्रेटर नोएडा में एक पिता ने अपनी पांच साल की बेटी के साथ डिजिटल रेप को अंजाम दिया। पीड़ा होने पर बच्ची ने मां को पूरी बात बताई। जिसके बाद मां ने पति के खिलाफ पुलिस थाने में केस दर्ज कराया। पुलिस ने जानकारी देते हुए कहा कि बच्ची की मेडिकल जांच कराने के बाद केस दर्ज कर लिया गया है। इस मामले में सोमवार को बच्ची के बयान दर्ज करने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
बिसरख पुलिस की दी गई जानकारी के मुताबिक, महिला ने केस दर्ज कराते हुए आरोप लगाया कि 18 जून की रात पति ने बच्ची के साथ डिजिटल रेप किया। जिसके बाद बच्ची ने मां को निजी अंगों में दर्द होने की शिकायत की। मां ने बच्ची से दर्द होने की वजह पूछी, तो बच्ची ने पिता के डिजिटल रेप करने की बात बताई। इस मामले के सामने आते ही दोनों पति-पत्नी के बीच काफी झगड़ा हुआ। ऐसे में महिला ने पति के खिलाफ शिकायत कर केस दर्ज करवाया।
आजकल डिजिटल रेप के मामले लगातार सामने आ रहे है, जहां डिजिटल बलात्कार की घटनाएं सुनने को मिल रही है। ऐसे मामले ज्यादातर पीड़िता के करीबी द्वारा ही अंजाम दिए जाते है। तो आइए जानते है कि डिजिटल रेप क्या होता है और इसको लेकर क्या कड़े कानून लाए गए है।
क्या है डिजिटल रेप
डिजिटल रेप किसी इंटरनेट के जरिये नहीं होता। ये शब्द डिजिटल रेप दो शब्दों को जोड़कर बना है, जो है डिजिट और रेप। डिजिट काक मतलब अंक होता है, लेकिन इंग्लिश डिक्शनरी में डिजिट का मतलब अंगुली, अंगूठा, पैर की अंगुली इन शरीर के अंगो को कहा जाता है।
अब अगर कोई शख्स महिला की बिना सहमति के उसके निजी अंगों यानी की प्राइवेट पार्ट्स को अपनी अंगुलियों या अंगूठे से टच करता है तो ये डिजिटल रेप कहलाता है। मतलब जो शख्स अपने डिजिट का इस्तेमाल करके यौन उत्पीड़न करता है, तो ये डिजिटल रेप की कैटेगरी में आ जाता है। इस तरह के रेप के लिए विदेशों में कानून है और अब भारत में इसके लिए कानून बनाया जा चुका है।
डिजिटल रेप कानून भारत में कब आया
डिजिटल रेप को 2013 के आपराधिक कानून संशोधन के माध्यम से भारतीय दंड संहिता में शामिल किया गया था। इसे निर्भया अधिनियम (Nirbhaya Act) भी कहा जाता है। साल 2012 में निर्भया केस के बाद से रेप के कानून में कई बदलाव किए गए और डिजिटल रेप को जोड़ा गया। साल 2013 के बाद बलात्कार का मतलब सिर्फ संभोग तक ही सीमित नहीं रह गया है, अब इसमें कई नियम जुड़ चुके हैं।
डिजिटल रेप की सजा क्या है
डिजिटल रेप के 70 प्रतिशत केस किसी ऐसे शख्स के जरिये अंजाम दिए जाते हैं जो पीड़िता के जान-पहचान का होता है या उसका करीबी होता है। इसके बावजूद डिजिटल रेप के बहुत कम अपराध दर्ज किए जाते हैं। मालूम हो कि ऐसा इसलिए है क्योंकि ज्यादातर लोगों को बलात्कार के कानूनों और डिजिटल बलात्कार के बारे में नहीं जानते हैं। डिजिटल रेप कानून के मुताबिक, अपराधी को कम से कम पांच साल की जेल हो सकती है। वहीं कुछ संवेदनशील मामलों में ये सजा 10 साल तक भी चल सकती है या कुछ केस में आजीवन कारावास भी हो सकता है। जाहिर है कि भारत में निर्भया कांड को लेकर महिलाओं के प्रति बढ़ रहे यौन उत्पीड़न और दुष्कर्म की घटनाओं पर लगाम कसने के लिए सख्त कानून लाए गए है, ऐसे में अपराधी को इन कानूनों के तहत कड़ी से कड़ी सजा हो सकती है।