हरियाणा के फ़रीदाबाद से एक नाबालिग के 15वीं मंजिल से कूद कर जान देने का मामला सामने आया है। 17 साल के आर्वे ने यौन उत्पीड़न से परेशान होकर आत्मह्या कर ली। स्कूल में शिकायत करने पर भी कोई एक्शन नहीं लिया गया।
बीबीसी को बताते हुए आर्वे की मां आरती ने कहा कि 17 साल के आर्वे ने डिप्रेशन से जूझने के बाद आत्महत्या की। ये घटना 24 फरवरी 2022 के फ़रीदाबाद की है। जहां आर्वे को सातवीं-आठवी क्लास से ही यौन उत्पीड़ित किया गया। जिसके बाद आर्वे को पैनिक अटैक आने लगे। स्कूल के लड़के यौन उत्पीड़न के बाद आर्वे को डराते-धमकाते थे कि अगर ये बात किसी से शेयर की तो वे मां का रेप कर मार डालेंगे। रोज-रोज की ऐसी चीजे झेलने के बाद आर्वे के पास कोई और ऑपशन नहीं बचा। जिसके बाद आखिरकार आर्वे ने 15वीं मंजिल से कूदकर अपनी जान दे दी।
आर्वे ने लिखा सुसाइड नोट
मां का कहना है कि बेटे ने मरने से पहले सुसाइड नोट भी लिखा था। नोट में लिखा कि स्कूल हेज किल्ड मी। क्योंकि बेटे ने कई बार अपने स्कूल के टीचर्स से उसके साथ हो रहे अत्याचार के बारें में बात की। लेकिन टीचर्स ने शिकायते नजरअंदाज कर दी। मां से बोला गया कि बच्चा बेहद संवेदनशील है, इसी वजह से ऐसी शिकायतें करता है।
स्कूल ने इन आरोपों को नकारा
वहीं इस मामले के बारें में पूछे जाने पर स्कूल ने इन आरोपों को नकार दिया है। स्कूल की प्रिसिंपल सुरजीत खन्ना का कहना है कि SIT यानि की स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम इस केस की जांच कर रही है। इस दौरान स्कूल जांच में पूरा सहयोग दे रहा है। ताकी पुलिस की जांच निष्पक्ष तरीके से हो।
आर्वे को स्कूल में ‘गे’ बुलाया गया
वहीं आर्वे की मां आरती के मुताबिक, पिछले साल ही आर्वे के डिप्रेशन का इलाज कर दवाईयां शुरु की गई थी। बेटा आर्वे टॉप पहनता था जिसकी वजह से उसे रोका-टोका गया। नेल पॉलिश लगाने पर रोका गया। मां का कहना है कि बेटा नेल पॉलिश का इस्तेमाल करके नेल्स पर आर्ट बनाने की कोशिश करता था। इसी वजह से लोग बेटे को गे बुलाने लगे थे। तब आर्वे ने मां को पूछा- मां कहीं मैं ऐसा हूं तो नहीं, सब मुझे ऐसा बोलते है। मेरा चैकअप करवाओं। आर्वे ने बुलिंग करने और लोगों द्वारा बुरा-भला कहने के कारण खुद पर डाउट करना शुरू कर दिया। ऐसे में मां का सवाल है कि अगर कोई नेल्स पर आर्ट करता है तो क्या वो गे हो जाता है?
‘फूल को खिलने से पहले ही मार डाला’- आरती
मां ने बेटे की मौत पर कहा- अगर वो गे होता भी, और अगर उसे लोगों का सहयोग मिलता, तो वो खुलकर आगे आता। लेकिन फूल को खिलने से पहले ही मार डाला। कि मत खिलियों, तुम्हें खिलने का कोई हक नहीं है। वहीं 6 महीने बाद भी न्याय न मिलने पर आर्वे की मां का सवाल है कि यौन उत्पीड़न को छोटा क्राइम समझकर उसके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया जाएगा? न्याय के लिए एक मां धक्के खाती रहेगी? क्या न्याय के लिए मां को रिक्वेस्ट करनी पड़ेगी? आरती सिंगल मदर थी। इस वजह से अपने बेटे को लेकर उनके बेहद सपने थे। लेकिन अब उस मां के सपने अधूरे ही रह गए।
विशेषज्ञों की ये है राय
विशेषज्ञों के मुताबिक, बच्चे किशोरावस्था जैसे नाजुक समय में ही अपनी सेक्शुअलिटी की पहचान कर रहे होते है। ये दौर काफी कन्फूजन से भरा होता है। इस दौरान वे किसी से ये बाते शेयर भी नहीं कर पाते है। ऐसे में वे डिप्रेशन का शिकार हो जाते है।
UNESCO के आंकड़ें बताते है
वहीं UNESCO के आंकड़ों के मुताबिक, बच्चे बुलिंग किए जाने पर मानसिक तौर पर परेशान रहने लगते है। इस वजह से वे स्कूल छोड़ने पर भी मजबूर हो जाते है। ऐसे में एक सख्त कानून लाने की जरूरत है। जाहिर है कि स्कूल में बुलिंग को लेकर अभी तक भारत में कोई कानून नहीं लाया गया है। जिसकी वजह से न जानें ऐसे और कितने आर्वे अपनी जान दे रहे है।
मां को है बेटे के लिए न्याय का इंतजार
बता दें कि घटना को 6 महीने बीत चुके है। लेकिन हरियाणा के फरीदाबाद में रहने वाली आरती यानी आर्वे की मां को अभी भी अपने बेटे के लिए न्याय का इंतजार है।