“अगर आपको 2-4 मंत्र आते हैं…आप लोगों से बातचीत कर उन्हें थोड़े ही देर में अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं…आपको थोड़ी मोड़ी एक्टिंग और जादूगरों वाले 1-2 तरकीब आते हैं तो आप आसानी से बाबा बनने के योग्य हैं…” भारत में आजकल के लगभग बाबाओं की योग्यता यहीं है…उन्हें न धर्म का ज्ञान है, न धर्मग्रंथों का ज्ञान है और न ही उन्हें मानव कल्याण की पड़ी है…उन्हें सिर्फ अपना जेब भरना है…बाबागिरी की आड़ में अपने काले करतूतों को अंजाम देना है और लोगों को मानसिक गुलाम बनाना है…हाल ही में उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुई एक घटना ने सभी को व्यथित कर दिया है…एक बाबा के कार्यक्रम में मची भगदड़ में 121 लोगों की कुचल कर मौत हो गई…मरने वाले में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे. इतना नृशंस कांड होने के बावजूद बाबा के भक्तों के माथे पर सिकन तक नहीं है…जिन भक्तों के बच्चे मरे…बीबी मरी, सगे संबंधी मरे…वो इतने मानसिक गुलाम हो गए हैं कि इस घटना के लिए बाबा को जिम्मेदार तक नहीं ठहरा पा रहे हैं.
हाथरस घटना और बाबा सूरजपाल
दरअसल, इस बाबा का असली नाम सूरजपाल जाटव है, जो नारायण साकार विश्वास हरि ऊर्फ भोले बाबा के नाम से ज्यादा प्रचलित है. बाबा का हाथरस में कार्यक्रम था…50 हजार लोगों के जुटने की संभावना थी…लेकिन 2 से ढ़ाई लाख लोग पहुंचे….कार्यक्रम के बाद बाबा की गाड़ी का धूल लेने के लिए लोगों की भीड़ उनकी गाड़ी की ओर बढ़ी और इसी दौरान यह घटना घटित हुई…लोग एक दूसरे पर गिरते चले गए…एक दूसरे को रौंदते चले गए…थोड़ी ही देर में मंजर भयानक हो गया…चारों ओर लाशें ही लाशें दिखने लगी थी…महिलाओं और बच्चों के शवों से इलाका पट गया था…ऐसा नहीं है कि इस घटना की जानकारी तुरंत ही बाबा को न मिली हो…उसे जानकारी मिली होगी लेकिन वह वहां रूक कर स्थिति को संभालने या लोगों को कम से कम अस्पताल तक पहुंचाने का व्यवस्था भी नहीं कर पाया…लोग दब दब कर मरते रहे और वह अपनी गाड़ियों का काफिला लेकर निकल गया…प्रत्यक्षदर्शियों की ओर से तो कुछ ऐसा ही बयान दिया गया है..लेकिन बाद में प्रशासन ने कहा कि बाबा के जाने के बाद ये घटना घटित हुई थी.
बाबा सूरजपाल जाटव की योग्यता क्या है?
दलित समाज से आने वाले इस बाबा की योग्यता की बात करें तो यह नील बट्टे सन्नाटा है…2 दशक पहले तक यह यूपी पुलिस में था. नौकरी के शुरुआती दिनों में वो स्थानीय अभिसूचना इकाई (एलआईयू) में तैनात रहा और क़रीब 28 साल पहले छेड़खानी के एक मामले में अभियुक्त होने के कारण उसे निलंबन की सज़ा मिली.
निलंबन के कारण सूरजपाल जाटव को पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था. हालांकि, इससे पहले वो क़रीब 18 पुलिस थाना और स्थानीय अभिसूचना इकाई में अपनी सेवाएं दे चुका था. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक इटावा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय कुमार बताते हैं कि छेड़खानी वाले मामले में सूरजपाल एटा जेल में काफ़ी लंबे समय तक क़ैद रहा और जेल से रिहाई के बाद सूरजपाल जाटव, सूरजपाल बाबा की शक्ल में लोगों के सामने आया. यानी जेल से निकलने के बाद इसने बाबा बनने का प्रोफेशन चुना और अपने गांव नगला बहादुरपुर में ही 30 बीघा जमीन पर अपना पहला आश्रम बनाया.
कुछ सालों के अंदर ही उनके भक्त उन्हें कई नामों से बुलाने लगे और इनके बड़े-बड़े आयोजन शुरू हो गए, जिनमें हज़ारों लोग शरीक होने लगे. अपने समागमों में यह कई बार दावा कर चुका है कि उसे नहीं पता कि सरकारी सेवा से उसे यहां तक खींचकर कौन लाया… वह अपने उपदेशों में खुद को भगवान का अवतार बताता नजर आता है. वह कहता है कि “मैं मंदिरों, गुरुद्वारों, मस्जिदों और गिरजाघरों में जाता हूं. मुझे जहां बुलाया जाता है, मैं पहुंच जाता हूं. और अगर मुझे नहीं बुलाया जाता तो मैं नहीं जाता.”
मजे की बात तो यह है कि यह बाबा अपने भक्तों से दान दक्षिणा नहीं लेता लेकिन इसके बावजूद यूपी के साथ-साथ देश के तमाम हिस्सों में इसके कई बड़े आश्रम स्थापित हो चुके हैं…राजमहल से दिखने वाले इन आश्रमों में जब जहां मन किया..बाबा पहुंच जाता है और अपनी लीला करता है…इसके नाम पर कोई संपत्ति नहीं है, सबकुछ इसका बनाया गया ट्रस्ट मैनेज करता है. राम रहीम, आशाराम और कुमार स्वामी जैसे बाबाओं की तरह इस बाबा के यहां भी बड़ी संख्या में सेवादार काम करते हैं, जिनमें महिला सेवादारों की उपस्थिति 80 फीसदी के करीब है.
जन्माष्टमी पर कन्हैया बनकर झूलता था बाबा
न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक, बाबा के सत्संग में महिलाओं की भागीदारी हर जगह सबसे ज्यादा होती है. रिपोर्ट में यह कहा गया है कि बाबा के दरबार में महिलाएं रूपक बनकर आती थीं और बाबा उनके बीच मे नाचता था. महिलाओं ने बताया कि बाबा के पास एक मोहनी मंत्र है और जैसे ही महिलाएं उसके आसपास जाती हैं तो वह उसके सम्मोहन में जकड़ जाती हैं…बताया जा रहा है कि बाबा के सत्संग में महिलाएं सबसे आगे रहती हैं…काफी बड़ी संख्या में लड़कियों को बाहर से लाया जाता था, जो गोपियां बनकर उसके आस पास मंडराती थी.. बाबा के साथ लड़कियों की गाड़ियां हमेशा साथ में चलती थी. इस रिपोर्ट में ही यह भी बताया गया है कि बाबा सूरजपाल के आश्रम में ऐसी रासलीला होती है. जैसे मथुरा में होती रहती थीं. यहां गाड़ियां भर-भर के महिलाएं आती थीं. एक से बढ़कर एक सुंदर होती थीं. किसी ने कोई शिकायत नहीं दी है. 15 अगस्त और जन्माष्टमी पर बाबा कन्हैया बनकर झूलते थे.
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बाबा सूरजपाल जाटव की पिंक आर्मी
आपको बता दें कि सिर्फ उत्तर प्रदेश के मैनपुरी, कासगंज, इटावा, ग्वालियर और संभल जैसे 25 जगहों पर बाबा के आश्रम हैं और साथ ही साथ 25-30 लग्जरी गाड़ियों का काफिला हरदम उसके साथ चलता है. इसकी सेवा में सैकड़ों सेवादार तैनात रहते हैं. हजारों सेवादारों की निजी सेना की बात भी सामने आ चुकी है. जाहिर है आश्रमों और सेवादारों पर हर महीने लाखों रुपए खर्च होते होंगे. ऐसे में सवाल ये कि किसी भक्त से एक रुपये का दान नहीं लेने का दावा करने वाला बाबा इतने पैसे लाता कहां से है? वो इतने आश्रमों की श्रृंखला का मालिक कैसे बन गया?
आज तक की रिपोर्ट बताती है कि बाबा की निजी सेना, जिसे पिंक आर्मी भी कहा जाता है, उसमें कम से कम 5000 जवान हैं और इसमें सबसे ज्यादा चर्चा ब्लैक कमांडो की होती है, जो उसके एक इशारे पर जान देने को तैयार रहते हैं. आखिर बाबा का सुरक्षा घेरा इतना सख्त क्यों था? इतनी रहस्यमयी क्यों था? बाबा के कार्यक्रम का वीडियो बनाना भी मना था. यहां तक की मोबाइल ले जाना भी मना था. बाबा की पिंक आर्मी, जो कि हर सत्संग में सुरक्षा का जिम्मा संभालता था. बाबा तीन लेयर की सुरक्षा में सत्संग करते थे. जिसमें करीब 5000 से ज्यादा पिंक वर्दी में जवान मौजूद रहते थे.
एनडीटीवी से बात करते हुए यूपी पुलिस के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह बताते हैं कि बाबा सूरजपाल जाटव पर 5-6 केस दर्ज हैं, इनमें यौन शोषण का मामला भी शामिल है. उसे यूपी पुलिस से बर्खास्त किया गया था. वो कहते हैं कि बाबा की भाव-भंगिमा को देखकर कभी नहीं लगता है कि वो आईबी में काम कर चुका है, क्योंकि आईबी में काम करने वाला व्यक्ति कभी नहीं बताएगा कि वो आईबी में काम करता है. उन्होंने कहा कि सूरजपाल सिंह के कृत्य को देखते हुए उनके अतीत की भी जांच कराई जानी चाहिए.
122 विधानसभा सीटों पर है बाबा का प्रभाव
ध्यान देने वाली बात है कि आज के इस डिजिटल युग में भी बाबा सोशल मीडिया पर नहीं है लेकिन जमीन पर इसकी पकड़ काफी अधिक है. कुछ रिपोर्ट्स में तो यह भी दावा किया जा रहा है कि बाबा यूपी की 122 विधानसभा सीटों पर अपना प्रभाव रखता है. शायद यही कारण है कि इस मामले को लेकर दर्ज किए गए एफआईआर में बाबा का नाम शामिल नहीं है. बाबा को लेकर कोई भी राजनीतिक पार्टी काफी उग्र नजर नहीं आ रही है…तमाम हिंदूवादी संगठन भी इस मुद्दे पर बात करने से हिचकिचा रहे हैं.
एक ओर पूरा देश इस बाबा के पाखंड को उजागर करने की बात कर रहा है…इसके खिलाफ जांच की बात की जा रही है…लेकिन दूसरी ओर प्रशासन भी बाबा पर हाथ डालने से बचता नजर आ रही है. यहां तक कि बाबा के भक्त इस मामले में उसे जिम्मेदार ठहराने से भी बच रहे है…जैसा कि हमने ऊपर भी बताया कि 121 जिंदगियों को लीलने वाला, 25 से 30 राजसी आश्रमों में रहने वाला…5000 से ज्यादा पर्सनल आर्मी की निगरानी में समागम करने वाला, खुद को भगवान का अवतार बताने वाला, हमेशा महिलाओं के बीच में रहने वाला, 100 करोड़ से ज्यादा का टर्नओवर वाला यह बाबा उसके भक्तों की नजर में अभी भी पाक साफ है…अंधभक्ति का मंजर ऐसा है कि इस मामले में बाबा के खिलाफ न के बराबर बयानबाजी देखने को मिली है…यह देखने के बाद तो यही प्रतीत हो रहा है कि भक्त सिर्फ आंख से ही नहीं बल्कि दिल और दिमाग से भी अंधे ही होते हैं!