पिछले कुछ दिनों से डॉक्टर द्वारा ऑर्डर की गई आइसक्रीम में कटी हुई उंगली मिलने का मामला वायरल हो रहा है। यह आइसक्रीम पुणे जिले में एक डेयरी में बनी थी। इस मामले के सामने आने के बाद लोग फूड सेफ्टी को लेकर सवाल उठा रहे हैं। पुलिस ने भी मामले का संज्ञान लिया और कार्रवाई शुरू कर दी है। यह मामला मुंबई का है। जांच के बाद पुलिस ने आखिरकार पता लगा लिया कि इसमें किसकी उंगली थी। साफ तौर पर कंपनी की लापरवाही सामने आई है।
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वाल्को कंपनी के ब्रांड युम्मो आइसक्रीम में यह उंगली पाई गई। कंपनी के गाजियाबाद और पुणे में प्लांट हैं। पुणे में फॉर्च्यून कंपनी की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में बनी आइसक्रीम में यह उंगली पाई गई। इस मैन्युफैक्चरिंग प्लांट में 11 मई 2024 को एक हादसा हुआ था, जिसमें 24 वर्षीय असिस्टेंट ऑपरेटर के दाहिने हाथ की बीच वाली उंगली का एक हिस्सा कट गया था। अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि पुलिस ने पोटे के डीएनए सैंपल एकत्र कर फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी को भेज दिए हैं।
फरेंसिक जांच के लिए भेजा टुकड़ा
मुंबई के एक एमबीबीएस डॉक्टर ने 12 जून को ऑनलाइन आइसक्रीम कोन ऑर्डर किया था और उसमें कील लगे मानव मांस का टुकड़ा मिला। डॉक्टर की शिकायत के बाद, यम्मो आइसक्रीम कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया और आइसक्रीम कोन में मिले मांस के टुकड़ों को कलिना स्थित फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी में भेज दिया गया।
जांच के दौरान मलाड पुलिस स्टेशन की एक टीम इंदापुर स्थित आइसक्रीम फैक्ट्री पहुंची जहां उसे पोटे के बारे में पता चला। एक अधिकारी ने बताया, ‘पुलिस ने पोटे के डीएनए सैंपल एकत्र किए हैं और उन्हें कलिना स्थित फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी में भेज दिया है ताकि पता लगाया जा सके कि आइसक्रीम में मिला उंगली वाला हिस्सा उसका (पोटे का) था या नहीं।’
गाजियाबाद और जयपुर लिंक भी आया
उन्होंने कहा कि पुलिस फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला से रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। फॉर्च्यून डेयरी के मालिक मनोज तुपे ने कहा कि वह जांच में सहयोग कर रहे हैं और डीएनए रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। तुपे ने उल्लेख किया कि उनकी फैक्ट्री इस घटना के लिए अकेले जिम्मेदार नहीं है क्योंकि मुख्य कंपनी ने आइसक्रीम कोन भरने का काम गाजियाबाद और जयपुर सहित कई इकाइयों को आउटसोर्स किया था। पुलिस ने कहा कि अधिकारियों ने जांच के लिए इन स्थानों पर टीमें भेजी हैं। उन्होंने दावा किया, “अधिकारियों ने गाजियाबाद और जयपुर इकाइयों में टीमें भेजी हैं ताकि पता लगाया जा सके कि क्या उस विशेष तिथि पर कोई समान घटना हुई थी।”
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