भारतीय कानून में लिखा गया है कि सौ अपराधी छूट जाए लेकिन किसी बेगुनाह को सजा नहीं मिलनी चाहिए और इस वजह से कानून किसी भी अपराधी को सजा देने से मामले की पूरी तरह से जाँच करता है और उसके बाद ही फैसला लेता है लेकिन दिल्ली में एक ऐसा मामला सामने आया है जब एक शख्स को हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया और उसे जेल में बंद कर दिया. वहीं जब ये मामला कोर्ट में गया तब पता चला कि ये शख्स निर्दोष है और बेगुनाह होने पर भी जेल की सजा काट रहा था और ये शख्स पिछले 5 साल से जेल में बंद है.
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जानिए क्या है मामला
ये मामला दिल्ली का है जहाँ पर हरीश शर्मा नाम के एक शख्स को नंवबर 2018 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. यह हत्या पंजाबी बाग थानाक्षेत्र में हुई थी और इस मामले पर कारवाई करते हुए पुलिस ने राजेश उर्फ राज को एक मोबाइल नम्बर के आधार पर गिरफ्तार कर लिया.
पुलिस का कहना था कि राजेश उर्फ राज को एक मोबाइल नम्बर के आधार पर गिरफ्तार किया गया है. जब डिटेल निकाली गई तो यह मोबाइल नम्बर मुख्य आरोपी राम उर्फ रवि के भाई दीपक के नाम पर पंजीकृत है. जांच अधिकारी ने दीपक को लेकर कोई जांच नहीं की है और ना ही उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया और ये शख्स पांच साल तिहाड़ जेल में बंद रहा.
इस तरह हुआ मामले का खुलासा
इस मामले में खुलासा तब हुआ जब तीस हजारी कोर्ट स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुनील कुमार शर्मा की अदालत के पास निर्दोष आरोपी राजेश उर्फ राज की जमानत याचिका डाली सुनवाई के लिए आई. वहीँ इस दौरान खुलासा हुआ कि आरोपी की गिरफ्तारी महज एक मोबाइल फोन के आधार पर की गई, जो कि हत्या के समय व हत्या के बाद उस जगह पर मौजूद था, जहां इस घटना को अंजाम दिया गया. हालांकि, यह मोबाइल फोन राजेश उर्फ राज का था ही नहीं.
वहीं अदालत ने कहा कि जांच अधिकारी इंस्पेक्टर ने सुनवाई के दौरान कहा कि आरोपी को सीसीटीवी कैमरे में शव को महाराजा अग्रसेन अस्पताल के पीछे फेंकते हुए कैप्चर किया गया था, जबकि पंजाबी बाग थानाक्षेत्र के सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) द्वारा दायर जवाब में कहा गया कि ऐसी कोई सीसीटीवी कैमरे की फुटेज नहीं है. अदालत ने माना कि इंस्पेक्टर ने अदालत को गुमराह किया.
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