देश की सबसे चर्चा में रहने वाली पुलिस, UP पुलिस आए दिन कठघरे में खड़ी पाई जाती है। इस बार UP पुलिस के कठघरे में रहने की वजह चंदौली के मनराजपुर नामक गांव की बेहद संवेदनशील घटना है। दरअसल UP पुलिस उत्तरप्रदेश के मशहूर हिस्ट्रीशीटर कन्हैया यादव (Kanhaiya Yadav) के घर चंदौली में दबिश देने गई थी, जहां UP पुलिस को हिस्ट्रीशीटर कन्हैया यादव तो नहीं मिले लेकिन पुलिस ने उनके घर की महिलाओं और बेटियों के साथ बदसलूकी और जमकर मारपीट की। यहां तक कि एक सिपाही ने कन्हैया यादव की बेटी के साथ छेड़छाड़ भी की।
जानें पूरा मामला
UP पुलिस की इस घिनौनी हरकत में कन्हैया यादव की दोनों बेटियां बुरी तरीके से घायल हो गई थीं, जिसमें से एक की मौत तक हो गई। दोनों बेटियों में से एक बेटी की हालात गंभीर हो गई, जिसकी कुछ ही दिनों में शादी होने वाली थी। कन्हैया की 19 वर्षीय बेटी को बाद में अस्पताल ले जाया गया लेकिन उसको बचाया नहीं जा सका। उसने अस्पताल में दम तोड़ दिया। इस घटना के सामने आने के बाद विपक्ष योगी सरकार पर हमलावर हो गया है। सपा और कांग्रेस ने योगी सरकार को UP पुलिस के इस नीच रवैये पर घेरा है।
इस मामले की सूचना जैसे ही समाजवादी पार्टी को लगी तो तुरंत घटना स्थल पर सपा के कार्यकर्ता पहुंच गए और वहां जमकर हंगामा करने लगे। सपा के इन कार्यकर्ताओं ने पुलिस का भी विरोध किया। इस घटना का जायजा लेने के लिए चंदौली के डीएम संजीव सिंह भी घटनास्थल पहुंचे थे। डीएम संजीव सिंह का कहना है कि मामले की हर पहलू से जांच की जाएगी। कोई भी आरोपी बख्शा नहीं जाएगा। गांव के तनावपूर्ण माहौल को लेकर संजीव सिंह ने कहा है कि स्थिति पूरी तरीके से नियंत्रित है।
पुलिस ने आरोपों को नकारा
हालांकि UP पुलिस अपने पर लगे आरोपों को खारिज कर रहीं है। पुलिस का कहना है कि कन्हैया यादव की बेटी ने आत्महत्या की है, हमें बदनाम करने के लिए ये खबर फैलाई जा रही है। पुलिस ने दावा किया है कि मामले की जांच के बाद सच सबको पता जायेगा कि ‘कौन झूठ और कौन सच बोल रहा है’?
मामले को तूल पकड़ता देश योगी सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए चंदौली के SHO सैयद राजा को सस्पेंड कर दिया है और परिजनों के बयान पर पुलिसकर्मियों पर FIR दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं।
पहले भी UP पुलिस रहीं है शक के दायरे में
योगी राज में उत्तर प्रदेश पुलिस कई बार शक के दायरे में रह चुकी है। ये चंदौली का मामला कोई नया नहीं है। UP पुलिस के ऐसे केस मिल ही जाते हैं , जो योगी सरकार की कानून व्यवस्था की किरकिरी करवा देते हैं। जिनमें कुछ चर्चित केस हैं- पिछले साल का गोरखपुर मनीष हत्याकांड में UP पुलिस के 6 पुलिसवाले पर मनीश की हत्या का आरोप लगा था। कानपुर संजीत यादव किडनैपिंग और मर्डर केस में UP पुलिस की सलाह पर अपहरणकर्ताओं को पैसे देने की बात सामने आई थी, जिसमें एक आईपीएस अधिकारी समेत 11 पुलिस वालों को निलंबित किया था। 2020 हाथरस कांड जिसमें पुलिस पर गंभीर आरोप लगा था कि पुलिस ने जबरन 19 वर्षीय युवती का शव जला दिया था। लखनऊ विवेक तिवारी हत्याकांड केस में UP पुलिस पर ये आरोप लगा था कि एक पुलिस वाले ने अपनी वर्दी पहनकर इस घटना को अंजाम दिया था। कुल मिलाकर देखा जाएं तो इन तमाम केसों में UP पुलिस की संदिग्ध स्थिति रही है, जो एक बड़ी आबादी वाले राज्य के लिए बिलकुल अच्छा नहीं है क्योंकि लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस की ही होती है। अगर पुलिस ही ऐसा करेगी तो जनता किस पर विश्वास करेगी?