Ex IPS officer Sanjiv Bhatt: गुजरात की एक अदालत ने पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को 1997 के हिरासत में यातना के मामले में बड़ी राहत दी है। पोरबंदर की एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट मुकेश पंड्या की अदालत ने 7 दिसम्बर को उन्हें इस मामले में बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ‘शक से परे मामले को साबित नहीं कर सका।’
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क्या था मामला? (Ex IPS officer Sanjiv Bhatt)
1997 में पोरबंदर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक (एसपी) संजीव भट्ट और कांस्टेबल वजुभाई चाऊ पर आरोप था कि उन्होंने नारन जाधव नामक व्यक्ति को हिरासत में शारीरिक और मानसिक यातना देकर अपराध कबूल करने पर मजबूर किया। जाधव 1994 के हथियार लैंडिंग मामले के 22 आरोपियों में से एक था।
इस मामले में शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि पुलिस ने उसे टाडा और शस्त्र अधिनियम के तहत हिरासत में लिया था और खतरनाक हथियारों व धमकियों का उपयोग कर उससे कबूलनामा लिया।
अदालत का फैसला
अपने फ़ैसले में अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा कि शिकायतकर्ता को कबूलनामा करवाने के लिए प्रताड़ित किया गया था। अदालत ने यह भी माना कि अभियुक्त पर मुकदमा चलाने के लिए आवश्यक सरकारी मंज़ूरी नहीं ली गई थी, जबकि अभियुक्त उस समय अपना कर्तव्य निभा रहा था।
This is Aakashi Sanjiv Bhatt,
Today marks our father, Mr. Sanjiv Bhatt’s 61st birthday—his sixth spent behind bars, away from us. For over six years, he has been unjustly incarcerated, targeted for his unwavering commitment to truth, justice, and the ideals he holds sacred.… pic.twitter.com/KdYn0ldisY
— Sanjiv Bhatt (IPS) (@sanjivbhatt) December 21, 2024
पिछले मामलों की पृष्ठभूमि
संजीव भट्ट को इससे पहले जामनगर में 1990 में हिरासत में हुई मौत के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। साथ ही, 1996 में राजस्थान के एक वकील को ड्रग्स के मामले में फंसाने के आरोप में उन्हें 20 साल की जेल की सजा हुई थी। वह वर्तमान में राजकोट सेंट्रल जेल में बंद हैं।
जन्मदिन के मौके पर परिवार का भावुक संदेश
7 दिसंबर को संजीव भट्ट का 61वां जन्मदिन था। इस मौके पर उनके बच्चों ने एक भावुक पोस्ट साझा की। उन्होंने लिखा कि यह उनका छठा जन्मदिन है जो उन्होंने जेल में बिताया। पोस्ट में बच्चों ने उनके साहस, सत्य और न्याय के प्रति अडिग प्रतिबद्धता की सराहना की।
उन्होंने लिखा,
“पिताजी, आपने हमें सिखाया है कि रात चाहे कितनी भी अंधेरी क्यों न हो, हमें रोशनी की ओर बढ़ते रहना चाहिए। आपने हमें सत्य और न्याय के लिए लड़ने की प्रेरणा दी है। हमें आपके साथ फिर से जश्न मनाने का बेसब्री से इंतजार है।”
आगे की लड़ाई
परिवार ने इस फैसले को एक छोटी लेकिन महत्वपूर्ण जीत बताया और कहा कि उनकी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। संजीव भट्ट का परिवार और समर्थक उनके साथ खड़े हैं, यह उम्मीद करते हुए कि न्याय जल्द ही पूरी तरह से उनके पक्ष में होगा।
कौन हैं संजीव भट्ट? (Who is Sanjiv Bhatt)
संजीव भट्ट गुजरात कैडर के बर्खास्त आईपीएस अधिकारी हैं। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुखर विरोधियों में गिना जाता है। संजीव भट्ट ने 1990 में जामनगर जिले में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के रूप में अपना पुलिस सेवा करियर शुरू किया था। इस दौरान उन्होंने दंगा नियंत्रित करने के लिए 150 लोगों को हिरासत में लिया था। हिरासत में लिए गए लोगों में से एक प्रभुदास वैष्णानी की अस्पताल में भर्ती होने के कुछ दिनों बाद किडनी फेल होने से मौत हो गई। लेकिन भट्ट पर हिरासत में प्रताड़ित करने और मारपीट करने का आरोप लगा। इस मामले में भट्ट को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। जिसके चलते वह जेल में है।