राजस्थान में दुष्कर्म और महिला हिंसा को लेकर अपराधों की संख्या बढ़ती जा रही है। राजस्थान में रोज 17 महिलाओं-युवतियों से रेप होता है और देश में सबसे ज्यादा दुष्कर्म भी इसी राज्य में होता है। यही वजह है कि पिछले तीन सालों से महिलाओं के साथ हिंसा के मामलों में राज्य पहले पायदान पर है। इतना ही नहीं दलितों, आदिवासियों और महिलाओं के साथ उत्पीड़न की घटनाओं को लेकर प्रशासन भी चुप है, भले ही कांग्रेस के बाद राज्य में बीजेपी की सरकार सत्ता में आई हो, लेकिन इन घटनाओं पर लगाम लगाना सबके बस के बाहर का मामला हो चुका है।
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राजस्थान में अपराध के आंकड़े
डीडवाना जिले के खुनखुना में नाबालिग लड़की का अपहरण कर बलात्कार, सीकर में दो बहनों के साथ घर में घुसकर बलात्कार, धौलपुर में 3 साल की मासूम के साथ दरिंदगी, श्रीगंगानगर में कोचिंग जा रही छात्रा के साथ बलात्कार, अलवर में नाबालिग लड़की के साथ दरिंदगी, हिंडौन में मूक-बधिर छात्रा को जिंदा जलाना – ये तो चंद उदाहरण मात्र हैं। राजस्थान पुलिस के आंकड़ों पर नजर डालें तो भजनलाल सरकार में हर दिन 12 से ज्यादा मासूम बच्चियों के साथ बलात्कार हो रहा है।
राजस्थान में दलित, आदिवासी और महिलाओं के विरुद्ध जारी उत्पीड़न की घटनाओं को कालवाड़ टाइम्स द्वारा प्रकाशित करने के कारण सरकार के अधिकारियों द्वारा फोन करके ख़बर नहीं करने का दबाव डालने की कार्यवाही, अत्यंत निंदनीय है। कालवाड़ टाइम्स राजस्थान का एक स्वतंत्र समाचार पत्र है, जिसका… pic.twitter.com/4v7yTGWtSw
— Tribal Army (@TribalArmy) June 3, 2024
दलित महिलाओं का हाल
एनसीआरबी की रिपोर्ट में दिए गए आंकड़ों के अनुसार, अनुसूचित जातियों के खिलाफ अत्याचार/अपराध के मामले में राजस्थान दूसरे स्थान पर है। साल 2021 में अनुसूचित जातियों (एससी) के खिलाफ अत्याचार के 14.7% (7,524) मामले यहां दर्ज किए गए हैं, जो की अब काफी बढ़ चुके हैं। वहीं, दलित महिलाओं के खिलाफ बलात्कार के मामले भी यहां बहुत अधिक हैं।
सरकार अपराध पर काबू करने में नाकाम
राजस्थान पुलिस के अपराध रिकॉर्ड और महिलाओं पर अत्याचार की घटनाओं से जो सच्चाई सामने आई है, उसने हर संवेदनशील व्यक्ति को अंदर तक झकझोर दिया है। महिला सुरक्षा के मुद्दे पर सत्ता में आई भाजपा पहले पांच महीनों में उस मुद्दे पर ज्यादा काम नहीं कर पाई। आंकड़ों के अनुसार, राज्य में नई सरकार के गठन के बाद पांच महीनों में 1644 नाबालिग लड़कियों को दरिंदों ने हैवानियत का शिकार बनाया है, वहीं अगर महिलाओं से दुष्कर्म और उत्पीड़न की बात करें तो इन पांच महीनों में 12 हजार से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं।
महिला सुरक्षा के नाम पर सिर्फ हो रही राजनीति
अपराध की राजधानी बनते जा रहे राजस्थान में महिला सुरक्षा हमेशा से ही बड़ा मुद्दा रहा है। कांग्रेस सरकार के दौरान बीजेपी ने राज्य को रेपिस्तान तक कह दिया था, लेकिन सरकार बदल गई। 5 महीने पहले सत्ता में रही कांग्रेस अब विपक्ष में है। विपक्ष में आने के बाद कांग्रेस ने महिला सुरक्षा के मुद्दे पर भजनलाल सरकार पर सवाल उठाने शुरू कर दिए। लेकिन दुख की बात यह है कि किसी भी सरकार के आने से यहां के हालात बिल्कुल भी नहीं सुधरे।
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