देश में बढ़ते भ्रष्टाचार से आम लोग काफी परेशान हो चुके हैं। जनता कई बार सरकार के सामने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर कर चुकी है लेकिन सरकार कभी उनकी ओर ध्यान नहीं देती। भ्रष्टाचार के खिलाफ कई बार विरोध प्रदर्शन किए जा चुके हैं और कुछ लोग तो भूख हड़ताल भी कर चुके हैं। अब भ्रष्टाचार के खिलाफ इस लड़ाई में एक और शख्स का नाम जुड़ गया है। दरअसल तीर्थ नगरी मथुरा के नौहझील थाना क्षेत्र में चार महीने से भ्रष्टाचार के खिलाफ भूख हड़ताल पर बैठे एक बुजुर्ग अब जिंदगी की जंग हार गए हैं। मिली जानकारी के मुताबिक मंगलवार की देर शाम उनकी तबीयत खराब हो गई। परिजन उन्हें सीएचसी ले गए। जहां उनकी हालत गंभीर देखते हुए उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। जिला अस्पताल में उनकी मौत हो गई।
पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया। इस बीच परिजनों ने कार्रवाई की मांग को लेकर शव का अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया। बाद में एसडीएम से वार्ता के बाद परिजन मान गए और शव का अंतिम संस्कार कर दिया।
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देवकीनंदन शर्मा का भ्रष्टाचार के खिलाफ आमरण अनशन
देवकीनंदन शर्मा 12 फरवरी से गांव शंकरगढ़ी स्थित मंदिर नगरकोट धाम पर भ्रष्टाचार के खिलाफ आमरण अनशन पर थे। उनकी मुख्य मांगों में जिला पंचायत राज विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार भी शामिल है। पिछले 13 सालों से वे शिकायत कर रहे हैं, धरना दे रहे हैं, अनशन कर रहे हैं, पदयात्रा कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने आमरण अनशन की जानकारी सीएम और प्रधानमंत्री पोर्टल पर भी दी थी।
जिम्मेदार लोगों ने चिपकाया नोटिस
भ्रष्टाचार के खिलाफ़ चार महीने तक भूख हड़ताल पर रहे बुजुर्ग देवकीनंदन शर्मा। लेकिन किसी अधिकारी ने उनकी बात नहीं सुनी। परिवार एसडीएम और नायब तहसीलदार से परेशान था। उन पर देवकीनंदन और उनके परिवार से प्रभावी ढंग से संवाद करने में विफल रहने का आरोप था। 10 जून को एसडीएम ने जबर्दस्ती भूख हड़ताल को खत्म करने की कोशिश की। उन्होंने घर पर एक नोटिस चिपका दिया। इसमें लिखा था कि हमारे संज्ञान में आया है कि आप पिछले 4-5 महीनों से बिना अनुमति के अपनी संपत्ति पर धरना दे रहे हैं।
आपकी मांगें स्पष्ट नहीं हैं। प्रशासन पर अनैतिक दबाव बनाने के इरादे से धरना दिया जा रहा है। अधिसूचना में आपको निर्देश दिया गया है कि आप तुरंत धरना बंद करें, अन्यथा कार्रवाई की जाएगी। देवकीनंदन ने अनशन के साथ-साथ चार महीने तक खाना-पीना भी त्याग दिया था। जानकारी होने के बावजूद अधिकारियों ने इसे नजरअंदाज किया, जिससे बुजुर्ग की मौत हो गई।
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