राजस्थान के अलवर में मूकबधिर नाबालिग बच्ची (Alwar Rape Case) के साथ कथित तौर पर घटी रेप की घटना इस वक्त पूरे देश में छाई हुई हैं। इसको लेकर सियासत भी गर्माई हुई है। खासतौर पर इसको लेकर बीजेपी (BJP on Alwar Rape Case) की तरफ से कांग्रेस सरकार (Rajasthan Congress Government) पर सवाल उठाए जा रहे हैं। अलवर में ये घटना 4 दिन पहले घटी थीं, लेकिन पुलिस (Alwar Police) के हाथ अब तक खाली हैं। वो आरोपियों तक नहीं पहुंच पाई।
वहीं इस बीच पूरे मामले को लेकर एक नया मोड़ आ गया, जब शुक्रवार को पुलिस ने केस में रेप की पुष्टि करने से इनकार कर दिया। पुलिस ने ये कहकर चौंका दिया कि मामले में पीड़ित नाबालिग के साथ रेप की पुष्टि नहीं हुई है।
अलवर की पुलिस अधीक्षक तेजस्विनी गौतम ने शुक्रवार को मेडिकल रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इस मामले में अभी रेप की पुष्टि नहीं हुई है। जिसके बाद से ही पुलिस की इस थ्योरी पर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं।
पुलिस का कहना है कि पीड़िता के साथ दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई। प्राइवेट पार्टस सही सलामत हुई। जिसको लेकर सवाल उठ रहे हैं कि अगर रेप नहीं हुई, तो फिर आखिर डॉक्टर ने ये क्यों कहा कि बच्ची के प्राइवेट पार्ट्स में गंभीर चोटें आई थीं?
दरअसल, पीड़िता का इलाज कर रहे डॉक्टर भी घटना के दिन लड़की की हालत देखकर हैरान हो गए थे। डॉक्टरों के कहा था कि उसके प्राइवेट पार्ट्स को नुकीली चीज से वार किया गया। वहीं चार दिन पहले अलवर के SP अश्विनी गौतम ने भी इसे दुष्कर्म का मामला बताया था।
वहीं पुलिस की तरफ से ये भी बताया गया कि मामले की जांच करने से 300 से भी ज्यादा कैमरों की रिकॉर्डिंग चेक की गई, जिसमें नाबालिग के गांव से निकलकर टेंपो में बैठने से लेकर घटनास्थल के पास तक के वीडियो रिकॉर्डिंग है। केवल लास्ट लोकेशन से घटनास्थल के बीच की 10 मिनट की वीडियो रिकॉर्डिंग नहीं है। उस 10 मिनट में नाबालिग कहां थी, उसके साथ क्या हुआ, इसकी जांच कर रही है। इस मामले की जांच के लिए 6 टीम बनाई थी। SIT का गठन किया गया था।
मामले में आए नए मोड़ को लेकर बीजेपी राज्य की कांग्रेस सरकार पर हमलावर है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने सच्चाई का पता लगाने के लिए CBI जांच की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि पुलिस ने मामले में यू-टर्न ले लिया है। राजस्थान जैसे शांतिपूर्ण राज्य में 3 वर्षों में अपराध बढ़े हैं। कांग्रेस नेता ने उत्तर प्रदेश में लड़की हूं, लड़ सकती हूं का नारा दिया, लेकिन राजस्थान में जो हुआ उसे नजरअंदाज कर दिया।
वहीं इसके अलावा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने भी इस मामले में खुद संज्ञान लिया है और राजस्थान के मुख्य सचिव से 24 जनवरी तक रिपोर्ट मांगी है। वहीं राजस्थान हाईकोर्ट में अलवर मामले को लेकर 28 जनवरी को वर्चुअल सुनवाई भी होगी।