
दुनियाभर में सूर्य को ऊर्जा का स्त्रोत ही नहीं बल्कि नेचर कंट्रोलर भी माना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि धरती पर कई ऐसे भी जगह हैं. जहां पर साल में कुछ ही महीने सूरज की रोशनी आती है. अब ये जानकर आपके मन में सवाल शायद उठा हो कि “क्या ऐसे शहरों में फिर अंधरा छाया रहता है?” तो इसका जवाब “हां” में है.
आपको बता दें कि जहां आर्कटिक सर्कल के उत्तर में स्थित नॉर्वे का टॉम्सो शहर में हर साल 3 महीने सूरज नहीं दिखता तो वहीं इसके दक्षिण की ओर नॉर्वे का रजुकान गांव में छह महीने तक सूर्य की रोशनी नहीं होती है. जी हां, जानकर भले ही थोड़ा अजीब लग रहा होगा लेकिन ये सच है. यहां के लोगों को सदियों तक अंधरे में रहना पड़ा, लेकिन तकनीकी विशेषज्ञों ने इसकी मुश्किल का हल निकाल लिया है, आइए आपको इसके बारे में बताते हैं…
सूर्य की रोशनी न होने के पीछे एक बड़ा कारण ये है कि रजुकान गांव दो ऊंचे पहाड़ों के बीच बसा हुआ है, इसकी ऊंचाई 1476 फीट है. वहीं, सूर्य की रोशनी को गांव तक पहुंचाने के लिए विशेषज्ञों ने हल निकालाते हुए सूर्य के प्रकाश की दिशा में पहाड़ों पर विशाल सन मिरर (Sun mirror) की शृंखला लगाई. इसकी मदद से सूर्य की किरणे परावर्तित होते हुए पहाड़ी की तलहटी में रोशनी करती हैं.
आपको बता दें कि मार्टिन एंडरसन नामक शख्स ऐसे पहले व्यक्ति थे, जो रजुकान गांव में सूर्य की रोशनी ना होने पर परेशान हो गए थे. जिसके बाद उन्होंने स्थानीय अधिकारियों की सहायाता से आठ लाख डॉलर की कीमत के साथ सन मिरर लगवाया. भले इस मिरर को एंडरसन ने लगवाए, लेकिन ये लगाने की योजना एक सदी पूर्व यहीं के इंजीनियर सैम का था. जहां साल 1928 में केबल कार की मदद से लोग सूरज के दर्शन करने के लिए ऊपर तक जाया करते थे, वहीं अब दिनभर सूर्य की रोशनी देखी जा सकती है.
आपको बता दें कि इस शीशे को 538 वर्ग फुट के इलाके में लगाया गया है और इसकी मदद से शहर के 2150 वर्ग फीट क्षेत्र में उजाला होता है. इसकी रोशनी शेष इलाके में मिल पाती है. जहां रजुकान में लोगों का जिंदगी अंधेरे में गुजर रही थी. वहीं, अब बढ़ते पर्यटनों के चलते यहां के लोगों की जिंदगी में दोहरा उजाला हो गया है.
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